
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) लगातार रेपो रेट (Repo Rate) में इजाफा कर रहा है. इस वजह से लोन महंगा हो रहा है और जिन लोगों ने पहले से ही लोन ले रखा उनकी EMI बढ़ रही है. बढ़ती EMI लोगों की जेब पर अतिरिक्त बोझ डाल रही, जिसकी वजह से उनका बजट बिगड़ रहा है. रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह रेपो रेट में 0.35 फीसदी वृद्धि का ऐलान किया था. इस वजह से बैंकों ने अपना ब्याज दर बढ़ा दिया है. क्योंकि होम लोन (Home Loan) लॉन्ग पीरियड के लिए होता है.
किसी भी होम लोन बॉरोअर्स के लिए ये सबसे बड़ी देनदारी होती है. बढ़ती ब्याज दरें EMI बढ़ा देती हैं. इस वजह से लोगों का बजट बिगड़ता है. हालांकि, कुछ कदम उठाकर आप अपने घरेलू बजट को संभाल सकते हैं.
EBR कर लें स्विच
ज्यादातर होम लोन फ्लोटिंग रेट बेसिस पर लिए जाते हैं. ऐसे में होम लोन लेने वालों पर बढ़ती ब्याज दरों का असर पड़ता है. इस स्थिति में आपको चेक करना चाहिए कि आपका लोन पुराने इंटरेस्ट रेट सिस्टम से जुड़ा है या फिर नए ब्याज सिस्टम से लिंक है. अगर आपने 2019 से पहले होम लोन लिया है, तो हो सकता है कि ये पुराने सिस्टम से जुड़ा हो. ऐसे में आपको इंटरेस्ट रेट की तुलना नए रिजीम रेट से करनी चाहिए. इसमें पता चले कि आप अधिक ब्याज दे रहे हैं, तो आपको एक्सटर्नल बेंचमार्क रेट (EBR) में स्विच कर लेना चाहिए. ये काम आप मामूली फीस देकर कर सकते हैं.
बढ़वा सकते हैं लोन की अवधि
अगर बढ़ती हुई EMI आपके मंथली बजट को बिगाड़ रही है, तो आप अपने बैंक से लोन की अवधि को बढ़ाने के लिए अनुरोध कर सकते हैं. अगर आपने कम उम्र में होम लोन लिया है, तो इसमें कोई अधिक परेशानी नहीं आती है. लोन चुकाने की अवधि बढ़ने से आपको हर महीने EMI के रूप में अपने बजट के हिसाब से राशि जमा कर सकते हैं.
प्री-पेमेंट का ऑप्शन चुन सकते हैं
अगर लोन की अवधि नहीं बढ़ पा रही है, तो लोन के पार्ट प्री-पेमेंट से आपको मदद मिल सकती है. इस तरह आपकी EMI में कमी आ सकती है और फिर आप इसे आसानी से चुका सकते हैं. अगर आप पहली बार होम लोन लेने जा रहे हैं, तो सबसे पहले ये चेक करें कि कौन सा बैंक सस्ती दरों पर लोन ऑफर कर रहा है. आपका क्रेडिट स्कोर कम ब्याज दर में मदद कर सकता है.
रिजर्व बैंक ने पांच बार बढ़ाए हैं रेपो रेट
रिजर्व बैंक ने इस साल में अब तक पांच बार रेपो में इजाफा किया है. पिछले हफ्ते बुधवार को केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट को 0.35 फीसदी का इजाफा किया है. अब रेपो रेट 6.25 प्रतिशत हो गया है. इस साल केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में कुल 2.25 फीसदी का इजाफा किया है.
इस साल रेपो रेट बढ़ने की शुरुआत मई के महीने से हुई, जब बिना किसी पूर्व सूचना के आरबीआई ने आनन-फानन में MPC की बैठक बुलाई और रेपो रेट में 0.40 फीसदी का इजाफा कर दिया. इसके बाद यह बढ़कर 4.40 फीसदी हो गया. इसके अगले महीने जून में हुई बैठक में केंद्रीय बैंक ने दूसरा झटका देते हुए रेपो रेट में 0.50 फीसदी इजाफा कर दिया. इससे रेपो रेट बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया.
रेपो रेट ऐसे पहुंचा 6% के पार
अगस्त के महीने में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.50 फीसदी का इजाफा करते हुए तीसरा झटका दिया और ब्याज दर बढ़कर 5.40 पर पहुंच गई. सितंबर में रेपो रेट में फिर से 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और ये 5.90 फीसदी पर पहुंच गया और फिर दिसंबर में हुई बढ़ोतरी ने रेपो रेट को 6 फीसदी के पार पहुंचा दिया.