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कोरोना संकट के बीच नए चीन की तलाश, जानें इन 4 पैमाने पर भारत कहां फिट?

aajtak.in
  • 18 मई 2020,
  • अपडेटेड 10:58 PM IST
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कोविड की धमक से पहले ही दुनिया में नए चीन की तलाश शुरू हो चुकी थी. चीन में महंगी होती मजदूरी से कंपनियां पहले ही परेशान थीं. इस बीच अमेरिका से व्यापार युद्ध के बाद इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने से डरी कंपनियों ने चीन से डेरा उठाना शुरू कर दिया था. 2018 तक चीन में विदेशी निवेश बढ़ने की सालाना गति घटकर 15 फीसद से नीचे (2009 में 25 फीसद-अंक) आ गई थी. (Photo: File)

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कोविड 19 के कहर के बाद भगदड़ तेज होने की आशंका के बीच उद्योग अब समझ चुके हैं कि कोई एक मुल्क अकेला नया चीन नहीं हो सकता जो एक साथ सस्ते श्रम, बुनियादी ढांचे और कम लागत की सुविधा दे सके. इसलिए अब दुनिया में कई छोटे-छोटे चीन होंगे जहां ये कंपनियां अपना नया ठिकाना बनाएंगी. (Photo: File)

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चीन से कंपनियों के संभावित पलायन पर रोबो बैंक का अध्ययन (कोविड से ठीक पहले) बताता है कि ऑटोमोटिव, खिलौने, कंप्यूटर रोबोटिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, पैकेजिंग, टेक्नोलॉजी हार्डवेयर, फुटवियर, गारमेंट कंपनियां दुनिया के अन्य देशों में जाना चाहती हैं. अमेरिकन चैम्बर के मुताबिक, करीब 25 फीसद अमेरिकी कंपनियां दक्षिण पूर्व एशिया में रहना चाहती हैं जबकि 8-10 फीसद अन्य देशों में जाएंगी. (Photo: File)

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चीन से बाहर इस निवेश के संभावित देशों की सूची में मलेशिया, ताईवान, थाईलैंड, वियतनाम, भारत, सिंगापुर, फिलीपींस, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान, श्रीलंका, मंगोलिया, कंबोडिया, लाओस, पाकिस्तान, म्यांमार और बांग्लादेश शामिल हैं. (Photo: File)

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चीन से कंपनियों का प्रवास चार पैमानों पर निर्भर होगा.

पहला पैमाना:
मेजबानों के निर्यात ढांचे की चीन के साथ समानता. इस पैमाने पर वियतनाम, थाईलैंड, कोरिया, ताईवान, मलेशिया, फिलीपींस के बाद भारत का नंबर आता है. (Photo: File)

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दूसरा पैमाना: चीन के मुकाबले श्रम लागत में कमी के पैमाने पर मंगोलिया, बांग्लादेश, श्रीलंका, कंबोडिया सबसे आकर्षक हैं. भारत इनके बाद है लेकिन थाईलैंड, मलेशिया और फिलीपींस से सस्ता है. (Photo: File)

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तीसरा पैमाना: कारोबार की आसानी में सिंगापुर, कोरिया, ताईवान, मलेशिया और थाईलैंड सबसे आगे हैं, भारत इस सूची में काफी पीछे है. (Photo: File)

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चौथा पैमाना: नियामक तंत्र की गुणवत्ता के मामले में भारत की रैंकिंग बेहतर है. दक्षिण एशिया के अन्य प्रमुख लोकतंत्र इसी के आसपास हैं. (Photo: File)

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गौरतलब है कि चीन से उखड़ती कंपनियां भारत के बाजार में सिर्फ माल बेचने नहीं आएंगी. वे यहां नया चीन बनाना चाहेंगी, जहां से पूरी दुनिया में निर्यात हो सके. जैसे चीन की मोबाइल हैंडसेट कंपनियों के आने के बाद भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात बढ़ गया. यह कंपनियां तगड़ी सौदेबाजी करेंगी, चौतरफा उदारीकरण और पूरी तरह मुक्त बाजार उनकी प्रमुख शर्तें होंगी. अब वही जीतेगा जो खुल कर खेलेगा. (यह कंटेंट इंडिया टुडे हिंदी के संपादक अंशुमान तिवारी की एक रिपोर्ट से ली गई है) (Photo: File)

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