वैसे तो पिता-पुत्र के बीच रंजिश की खबरें अकसर सुनने को मिलती हैं लेकिन जब यह देश के टॉप अरबपति से जुड़ा हो तो विवाद चर्चित हो जाती है. ऐसा ही एक विवाद बीते कुछ सालों से मीडिया में सुर्खियां बटोर रहा है. यह विवाद देश के चर्चित टेक्सटाइल ब्रांड रेमंड से जुड़ा हुआ है.
दरअसल, रेमंड ब्रांड को आसमान की ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले विजयपत सिंघानिया ने करीब दो साल पहले अपने बेटे गौतम सिंघानिया पर आरोप लगाया था कि उसने उन्हें पैसे के लिए मोहताज कर दिया है. अरबपति गौतम सिंघानिया और उनके पिता के बीच का यह विवाद कोर्ट तक पहुंच गया. विवाद इतना बढ़ गया कि गौतम सिंघानिया ने कोर्ट में अपने पिता की ऑटोबायोग्राफी पर रोक लगाने तक की मांग कर दी.
हालांकि उनकी यह मांग इसी साल कोर्ट ने खारिज कर दी है. दरअसल, गौतम सिंघानिया मुंबई की अदालत से अपने पिता की ऑटोबायोग्राफी पर रोक लगाने के अलावा उसकी स्क्रीप्ट मांग रहे थे . गौतम का कहना था कि उनकी पिता कि किताब से उनकी साख को चोट पहुंच सकती है.
लिया बड़ा फैसला
क्या है इस फैसले की वजह
गौतम सिंघानिया के मुताबिक उनका मकसद एक ऐसा स्वतंत्र संस्थान खड़ा करना है जो प्रतिस्पर्धा की भावना से संचालित हो और जिसमें प्रमोटर का कोई दखल नहीं हो. उन्होंने कहा कि उनका पूरा ध्यान कारोबार के लिए रणनीति तय करने, नए प्रोडक्ट बनाने, बजट, लक्ष्य तय करने, कंपनसेशन और जनसंपर्क पर होगा. बता दें कि गौतम सिंघानिया 1990 में रेमण्ड ग्रुप के डायरेक्टर बने.