सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बीच तनातनी के बीच आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया है. उर्जित पटेल ने आरबीआई की जिम्मेदारी 4 सितंबर 2016 को संभाली थी लेकिन उनके कार्यकाल के दूसरे महीने में ही देश की इकोनॉमी की दिशा बदल गई.
दरअसल, 8 नवंबर 2016 को 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट अवैध हो गए. ऐसा माना जाता है कि नोटबंदी का फैसला सरकार ने लिया था जिस पर उर्जित पटेल को सहमत होना पड़ा. यहीं से सरकार और आरबीआई के बीच एक खाई भी देखने को मिली.
200 से 2000 रुपये तक पर किया साइन
उर्जित पटेल आरबीआई के पहले ऐसे गवर्नर बने जिन्होंने 200 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक के नए नोट पर साइन किए. दरअसल, भारतीय इकोनॉमी में पहली बार ऐसा हुआ है जब 200 रुपये और 2000 रुपये के नए नोट चलन में हैं.
नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स पर कड़ा रुख
बैंकों की एनपीए लंबे समय से एक समस्या रही है लेकिन इस समस्या से निपटने के लिए आरबीआई ने बैंकों की सुस्ती पर फटकार लगाई. इसके अलावा उन्होंने एनपीए को वापस लाने के लिए कई अहम फैसले लिए. डिफॉल्टर्स पर नकेल कसने के लिए इन्सॉलवेंसी एंड बैंकरप्टसी कोड (आईबीसी) को लागू करने में अहम भूमिका निभाई.
गौरतलब है कि हाल ही में केन्द्रीय बैंक गवर्नर और केन्द्र सरकार में स्वायत्तता को लेकर विवाद खड़ा हुआ था. हालांकि इस विवाद के बाद केन्द्र सरकार में बयान दिया था कि उसके और केन्द्र सरकार के बीच स्वायत्तता को लेकर कोई विवाद नहीं हैं.