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7वां वेतन आयोगः भत्ते नोटिफाइड, A श्रेणी के शहरों के लिए न्यूनतम HRA 5400 रुपये

कई भत्तों में बढ़ती महंगाई के मुताबिक बढ़ोतरी की सिफारिश की गई थी, जिसके तहत HRA बढ़ाया गया है. हालांकि, DA और TA में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. इसके तहत मिनिमम HRA 5400, 3600, 1800 प्रति माह से कम नहीं रखा जाएगा.

केंद्र ने जारी किया नोटिफिकेशन केंद्र ने जारी किया नोटिफिकेशन
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 07 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 7:07 PM IST

48 लाख कर्मचारियों को बड़ा गिफ्ट देते हुए वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक भत्तों की लिस्ट को नोटिफाई कर दिया है. इसमें उन 34 संशोधनों को शामिल किया गया है जिन्हें 28 जून को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई. बढ़ाए गए भत्ते इसी महीने की एक जुलाई से देय होंगे.

सरकार के इस कदम ने लाखों कर्मचारियों का लंबा इंतजार खत्म होगा लेकिन सरकारी खजाने पर 30 हजार 748 करोड़ का बोझ बढ़ेगा. सरकार ने निर्णय लिया था कि अलग-अलग शहरों में एचआरए एक्स, वाय और जेड श्रेणी के शहरों के लिए क्रमशः 5400 रुपये, 3600 रुपये और 1800 रुपये न्यूनतम होगा.

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आपको बता दें कि इससे पहले मई में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में प्रस्तावित सैलरी और पेंशन में अहम बदलाव को मंजूरी दे दी गई थी. केन्द्र सरकार ने जून 2016 में सातवें वेतन आयोग को लागू करने की मंजूरी देते हुए केन्द्रीय बजट में 84,933 करोड़ (वित्त वर्ष 2016-17) के साथ-साथ वित्त वर्ष 2015-16 में दो महीने के एरियर का प्रावधान कर दिया था.

केन्द्रीय कैबिनेट ने वेतन, भत्ते और पेंशन में बदलावों को मंजूरी देते हुए फैसला लिया था कि किए गए बदलाव 1 जनवरी 2016 से लागू होंगे. गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने इसी तारीख से 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया था. इस फैसले से केन्द्र सरकार के खजाने पर 1,76,071 करोड़ रुपये का बोझ सिर्फ रिटायर्ड केन्द्रीय कर्मचारियों को वार्षिक पेंशन देने से पड़ेगा.

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पुराने नियम पर लौटी सरकार, सैन्य बलों को विकलांगता पेंशन

सैन्य बलों के कर्मियों की बड़ी मांग मानते हुए केन्द्र सरकार ने विकलांगता पेंशन की पुरानी व्यवस्था के साथ बने रहने और सातवें वेतन आयोग की सिफारिश वाली नई व्यवस्था को नहीं अपनाने का फैसला किया. सैन्य बल विकलांगता पेंशन के लिए प्रतिशत आधारित व्यवस्था पर वापस लौटने का दबाव बना रहे थे और 7वें केन्द्रीय वेतन आयोग की सिफारिश वाली स्लैब आधारित व्यवस्था का विरोध कर रहे थे.

 

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