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AAP की ट्रेड विंग ने जेटली को लिखा पत्र, GST काउंसिल को दिए 5 सुझाव

22 दिसंबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक से पहले आम आदमी पार्टी की ट्रेड विंग ने वित्‍त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखा है.

अरुण जेटली (फोटो -रॉयटर्स ) अरुण जेटली (फोटो -रॉयटर्स )
aajtak.in/पंकज जैन
  • नई दिल्‍ली,
  • 20 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 6:04 PM IST

जीएसटी काउंसिल की महत्वपूर्ण मीटिंग से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर राहत देने के लिए सुझाव दिए हैं. AAP ट्रेड विंग के संयोजक और नई दिल्ली लोकसभा के प्रभारी बृजेश गोयल ने बताया कि शनिवार को होने जा रही जीएसटी काउंसिल की बैठक पर न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश के व्यापारियों की नजरें टिकी हुई हैं क्योंकि इस मीटिंग में संभवत: ऐसी कई बातों का ऐलान किया जा सकता है, जो जीएसटी में किए गए सुधार से संबंधित हैं.  

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आम आदमी पार्टी ने यह अपील की है कि आगामी बैठक में ट्रेड विंग द्वारा दिए सुझाव पर मोहर लगाई जाए ताकि देश के समस्त छोटे- बड़े व्यापारियों को राहत मिल सके.  इसके साथ ट्रेड विंग के नेता शुक्रवार को दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया से मुलाकात कर उन्हें भी इस पत्र की कॉपी देंगे. दरअसल, ट्रेड विंग चाहती है कि मनीष सिसोदिया दिल्ली के व्यापारियों की तरफ से ये बिंदु जीएसटी काउंसिल की बैठक में उठाएं.

आम आदमी पार्टी ट्रेड विंग के 5 सुझाव -

1- मोटर पार्ट्स, टू-वीलर पार्ट्स, सीमेंट, कंप्यूटर मॉनिटर, पेंट, टीवी, एसी आदि वस्तुओं को 28 प्रतिशत के टैक्स स्लैब से हटा कर 18 या उससे कम के टैक्स स्लैब में शामिल किया जाए. अब ये सब चीजें विलासिता की श्रेणी में नहीं आती हैं. आज के समय में मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग के लोग भी आम जीवन में इस्तेमाल कर रहे हैं.

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 2- रिवाइज्ड रिटर्न सिस्टम 4 महीने पहले संसद में पास किया जा चुका है लेकिन अभी तक लागू नहीं किया गया है. जिसकी वजह से व्यापारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. फिलहाल केवल अमेंडमेंट रिटर्न सिस्टम ही चल रहा है.

3- वर्ष 2017-18 में जीएसटी की जितनी भी मासिक रिटर्न भरी गई हैं, उन सभी में सुधार करने के लिए एनुअल रिटर्न में मौका दिया जाना चाहिए. रिवाइज रिटर्न सिस्टम लागू न होने की वजह से कई टैक्स पेयर्स की रिटर्न में गलती रह गई हैं, जिसे सुधारा नहीं गया तो एनुअल रिटर्न में उन पर काफी बोझ पड़ेगा.

4- जीएसटी लागू करते समय में इसे सरल बताया गया था, जो हकीकत से काफी परे है. यही कारण है कि हम बार - बार यह मांग करते आए हैं कि जीएसटी को भी वैट प्रणाली की तरह ही एक सरल और सुगम रिटर्न स्ट्रक्चर दिया जाए. इसके अलावा छोटे डीलर्स के लिए रिटर्न तिमाही ही हो.

5-डेढ़ करोड़ से कम टर्नओवर वाले डीलर्स को एचएसएन कोड से छूट मिली हुई है लेकिन एनुअल रिटर्न में उनसे भी एचएसएन कोड के अनुसार जानकारी मांगी जा रही है, ऐसी जानकारी न मांगी जाए.

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