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कोरोना संकट से देश में गईं 1.9 करोड़ लोगों की नौकरियां, जुलाई में ही 50 लाख बेरोजगार

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुताबिक जुलाई महीने में ही 50 लाख लोगों की नौकरियां चली गईं. कोरोना संकट दुनिया के अन्य देशों की तरह ही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी भारी पड़ रहा है.

 कोरोना संकट की वजह से बड़े पैमाने पर बेरोजगारी कोरोना संकट की वजह से बड़े पैमाने पर बेरोजगारी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 11:06 AM IST

  • कोरोना संकट की वजह से बड़े पैमाने पर हुई छंटनी
  • अप्रैल से जुलाई के बीच 1.89 करोड़ नौकरियां गईं

कोरोना संकट दुनिया के अन्य देशों की तरह ही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी भारी पड़ रहा है. कोराना की वजह से हुए लॉकडाउन के कारण देश में करीब 1.89 करोड़ लोगों की नौकरियां चली गई हैं. यही नहीं, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुताबिक जुलाई महीने में ही 50 लाख लोगों की नौकरियां चली गईं.

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CMIE के कंज्यूमर पिरामिड्स हाउसहोल्ड सर्वे के अनुसार, अप्रैल से जून के दौरान करीब 1.7 करोड़ लोगों की नौकरियां चली गईं. जुलाई में तो हालत और खराब रही. जुलाई महीने के दौरान 50 लाख लोगों की नौकरियां चली गईं.

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अनौपचारिक क्षेत्र बेहतर

सीएमआईई का कहना है कि अनौपचारिक क्षेत्र में नौकरियां अब लौट रही हैं यानी लोगों को मिलने लगी हैं, क्योंकि धीरे-धीरे इकोनॉमी खुल रही है. साल 2019-20 में गैर वेतन वाले अनौपचारिक रोजगार 31.76 करोड़ थे, जो जुलाई 2020 में बढ़कर 32.56 करोड़ तक पहुंच गए. यानी इस दौरान 2.5 फीसदी यानी करीब 80 लाख की बढ़त हुई. लेकिन इस दौरान सैलरीइड यानी वेतनभोगी नौकरियों में 22 फीसदी यानी 1.89 करोड़ की कमी आई है.

चिंता की बात

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CMIE के अनुसार, अप्रैल 2020 तक 1.77 करोड़ लोग नौकरी गंवा चुके थे. इसके बाद मई में करीब 1 लाख लोगों की नौकरी गई. जून में लॉकडाउन खुलने के बाद 39 लाख नौकरियां बढ़ीं, लेकिन जुलाई में फिर 50 लाख लोग नौकरी से हाथ धो बैठे. वेतनभोगी लोगों की नौ​करियां जाना चिंता का विषय है.

जुलाई में क्यों गईं नौकरियां

जून में नौकरियों में बढ़त के बाद फिर जुलाई में नौकरियों में 50 लाख तक की गिरावट काफी चिंता वाली बात है. ऐसा क्यों हुआ, इसके बारे में इंडिया टुडे हिंदी के संपादक अंशुमान तिवारी बताते हैं, 'अप्रैल से जून तक देखें तो जब लॉकडाउन था तो बेरोजगारी दर 24 फीसदी की रिकॉर्ड हो गई थी. ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा और बुवाई की वजह से रोजगार की स्थिति बेहतर थी. जून में जब कामकाज दोबार शुरू हुआ तो लोगों को नौकरियां मिलीं. लेकिन जुलाई के आंकड़ों से हमारी आशंका सही साबित हुई है. वेतनभोगी लोगों की अप्रैल में छंटनी का एक दौर आया तो जुलाई में दूसरा दौर. कंपनियां जब खुलीं तो उन्होंने आकलन किया और उनको लगा कि अभी इकोनॉमी साल भर सुधरने वाली नहीं तो उन्होंने फिर छंटनी की.'

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CMIE के एमडी एवं सीईओ महेश व्यास ने कहा, 2019-20 के पूरे साल और जुलाई 2020 की तुलना करें तो ग्रामीण और शहरी सभी इलाकों में वेतनभोगी लोगों की नौकरियां गई हैं. ग्रामीण इलाकों में नौकरियों में 21.8 तो शहरी इलाके में 22.2 फीसदी तक की गिरावट आई है.'

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