
अनिल अंबानी के रिलायंस समूह के वित्तीय सेवा कारोबारों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. इनकी लगातार कई एजेंसियों ने रेटिंग घदा दी है. रेटिंग एजेंसियों को समूह द्वारा कर्ज लौटाने की क्षमता पर संदेह है. इनके मुताबिक कुछ हद तक उसी तरह के कर्ज डिफाल्ट की स्थिति बनती दिख रही है, जैसे कि IL&FS और DHFL के मामले में हुआ था. इसलिए बड़ा सवाल यह है कि अनिल अंबानी इस संकट से कैसे निकलेंगे और क्या इस बार भी उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी मदद के लिए आगे आएंगे.
रेटिंग एजेंसियों केयर (CARE) और इकरा (ICRA) ने रिलायंस कॉमर्शियल फाइनेंस (RCF) और रिलायंस होम फाइनेंस (RHF) की रेटिंग घटा दी है. इकरा ने इसके पहले रिलायंस कैपिटल के कॉमर्शियल पेपर को भी डाउनग्रेड कर दिया था. खबर यह भी आ रही है कि रिलायंस कैपिटल आरसीएफ और आरएचएफ के लिए स्ट्रेटेजिक इनवेस्टर लाने की योजना बना रही है. बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार, आरएचएफ में बड़ी हिस्सेदारी खरीदने के लिए ब्लैकस्टोन, कार्लिले, ब्रूकफील्ड और पीरामल समूह से बातचीत चल रही है. आरएचएफएल में रिलायंस कैपिटल की 51 फीसदी हिस्सेदारी है.
गौरतलब है कि इसके पहले अनिल अंबानी एक कर्ज संकट में फंसे थे जिसमें दूरसंचार उपकरण बनाने वाली कंपनी एरिक्सन को 550 करोड़ रुपये के बकाया का भुगतान न करने की वजह से उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी. मार्च महीने में रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) ने स्वीडन की दूरसंचार उपकरण बनाने वाली कंपनी एरिक्सन को 550 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया. लेकिन अनिल अंबानी ने ये पैसे अपने बड़े भाई मुकेश अंबानी से लेकर चुकाए. अगर कंपनी ऐसा करने में विफल रहती है तो आरकॉम के चेयरमैन अनिल अंबानी को 3 महीने जेल की सजा काटनी पड़ सकती थी. ऐसे में मदद के लिए बड़े भाई मुकेश अंबानी सामने आए. मुसीबत में मदद के लिए अनिल अंबानी ने बड़े भाई मुकेश अंबानी और भाभी नीता का शुक्रिया किया.
करीब तीन साल पहले अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) ने अपने करीब 45,000 करोड़ रुपये के कर्ज की वापसी में डिफाल्ट करना शुरू किया. समूह ने अपने एसेट की बिक्री कर करीब 60 फीसदी कर्ज चुका देने की योजना बनाई है. दावा है कि एसेट बिक्री से समूह का कुल कर्ज घटकर 48,645 करोड़ रुपये रह जाएगा. अकेले समूह की दूरसंचार कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) पर ही 38 बकाएदारों का करीब 47,000 करोड़ रुपये का कर्ज है और वह डेट रीस्ट्रक्चरिंग प्रक्रिया से गुजर रही है. कंपनी अपना स्पेक्ट्रम, फाइबर, टेलीकॉम टावर, आदि बेचकर करीब 25,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद कर रही है. इसी तरह इस कंपनी की नवी मुंबई स्थित 125 एकड़ प्रॉपर्टी को बेचने से करीब 10,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं.
हाल में एडीएजी समूह की कंपनी रिलायस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने मुंबई का अपना पावर कारोबार अदानी ट्रांसमिशन लिमिटेड को बेचा है. यह बिक्री करीब 18,800 करोड़ रुपये में हुई है. समूह की एक कंपनी रिलायंस नवल ऐंड इंजीनियरिंग लिमिटेड के ऊपर करीब 5,300 करोड़ रुपये का कर्ज है. इसे चुकाने के लिए कंपनी इन्साल्वेंसी प्रक्रिया से गुजर रही है. दूरसंचार विभाग द्वारा बैंक गारंटी मांगने की वजह से स्पेक्ट्रम की बिक्री परवान नहीं चढ़ पाई. लोन भुगतान न कर पाने की वजह से आरकॉम ने फरवरी में दिवालिया होने के लिए आवेदन किया.
इसलिए अब बाजार इस बात का बेसब्री से इंतजार कर रहा है कि रिलायंस कैपिटल और उसकी सहयोगी कंपनियों को बचाने क्या इस बार फिर बड़े भाई मुकेश अंबानी सामने आएंगे. बताया जा रहा है कि सात एसेट मैंनेजमेंट कंपनियों ने अनिल अंबानी समूह की तीन गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की 62 योजनाओं में निवेश किया है. इसी तरह दो म्यूचुअल फंडों ने डाउनग्रेड कंपनियों में निवेश किया है. (www.businesstoday.in से साभार)