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370 पर एक्शन: क्या अब दवा उद्योग का केंद्र बनेगा जम्मू-कश्मीर?

जम्मू-कश्मीर में फार्मा उद्योग के विकास की काफी संभावनाएं हैं. जम्मू पहले से इसका केंद्र है और अब पूरे राज्य में इसके विकास की संभावना जताई जा  रही है. जम्मू-कश्मीर में फार्मा उद्योग का बाजार करीब 1,200 से 1400 करोड़ रुपये का है.

फिलहाल जम्मू है दवा उद्योग का केंद्र फिलहाल जम्मू है दवा उद्योग का केंद्र
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 1:07 PM IST

कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 के दो खंडों को खत्म कर देने के बाद राज्य के औद्योगिक विकास की उम्मीद काफी बढ़ गई है. जम्मू-कश्मीर में फार्मा उद्योग के विकास की काफी संभावनाएं हैं. जम्मू पहले से इसका केंद्र है और अब पूरे राज्य में इसके विकास की संभावना जताई जा  रही है.

जम्मू-कश्मीर में फार्मा उद्योग का बाजार करीब 1,200 से 1400 करोड़ रुपये का है. इसकी तुलना में महाराष्ट्र और यूपी जैसे बाजार करीब 20 गुना ज्यादा हैं. जम्मू दवा उद्योग का प्रमुख केंद्र है और यहां ल्यूपिन, सन फार्मा, कैडिला फार्मास्यूटिकल्स जैसी कई कंपनियों के कारखाने हैं. जम्मू में कुल ऐसी करीब 50 फैक्ट्र‍ियां हैं, जिनमें से कुछ स्थानीय निर्माता भी हैं.

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जम्मू-कश्मीर में काफी सस्ती है बिजली

आज जब देश के ज्यादातर स्थानों पर जल संकट चल रहा है और बिजली की लागत बढ़ती जा रही है, जम्मू-कश्मीर इस मामले में काफी बेहतर है. जम्मू में बिजली करीब 2 रुपये प्रति यूनिट मिलती है, जबकि देश के अन्य इलाकों में बिजली 6 से 7 रुपये प्रति यूनिट मिलती है. इसकी वजह यह है कि वहां पनबिजली का काफी विकास हुआ है. यहां साल के ज्यादातर समय ठंडा मौसम रहने के कारण जम्मू-कश्मीर में बिजली की खपत भी कम होती है.

दवा उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि यहां फार्मा सेक्टर का विकास काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार संभावित निवेशकों को किस तरह का प्रोत्साहन देती है और शांति एवं स्थ‍िरता बनाए रखने के लिए क्या उपाय किए जाते हैं. ठंडा मौसम दवा उद्योग के लिए काफी मुफीद भी होता है, क्योंकि यह तापमान के प्रति संवेदनशील माने जाने वाली वैक्सीन्स के उत्पादन के लिए आदर्श माहौल पेश करता है.

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फिलहाल, इस इलाके की ज्यादातर दवा फैक्ट्रियां एक्यूट केयर से जुड़ी दवाइयां बनाती हैं. इनमें से करीब 65-70 फीसदी कारखाने गैस्ट्रो इंटेस्ट‍िनल और एंटीबायोटिक्स जैसे मेजर थेरेपी में हैं. गंभीर बीमारियों की बात करें तो ज्यादातर दवाइयां कॉर्डियोलॉजी से जुड़ी हैं, जिसका यहां बड़ा बाजार भी है. ज्यादातर दवा कंपनियां जम्मू से और कुछ श्रीनगर से संचालित होती हैं.

नीतिगत पहल का इंतजार

दवा उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि वे अपनी निवेश योजना को आगे बढ़ाने से पहले कुछ इंतजार करने की नीति अपनाएंगे. अब सबकी नजर केंद्र सरकार पर है कि आगे वह निवेशकों को आकर्षित करने के लिए किस तरह की सहूलियत देती है.

गौरतलब है कि सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प सदन में पेश किया. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद कश्मीर में लागू धारा 370 में से सिर्फ खंड-1 बचा है, बाकी प्रावधानों को हटा दिया गया है. इसके अलावा नए प्रावधान में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन का प्रस्ताव भी मंजूर किया गया, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश बन गया है और लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया गया है.

(www.businesstoday.in से साभार)

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