
मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से केंद्र के खास रिश्ते को तय करने वाले अनुच्छेद 370 के दो खंडों को खत्म कर दिया है. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर राज्य को दो टुकड़ों में बांटकर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया है. कई जानकारों का मानना है कि इससे कश्मीर का आर्थिक विकास तेज होगा. पिछले कई दशकों से कश्मीर की अर्थव्यवस्था की हालत खराब रही है.
जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से केंद्रीय अनुदान पर निर्भर करती है जिसका योगदान यहां के कुल राजस्व के आधे से ज्यादा होता है. राज्य में पिछले पांच साल में 10 फीसदी की विकास दर देखी गई है, लेकिन यह बेस रेट काफी कम होने की वजह से है. बीजेपी का मानना है कि अनुच्छेद 370 की वजह से राज्य का विकास नहीं हो पा रहा था. आइए पांच बिंदुओं में जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है.
1. पंजाब से चार गुना कम
साल 2018-19 में जम्मू-कश्मीर के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) में 11.7 फीसदी की वृद्धि हुई है. राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक यह बढ़कर 1.57 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. दूसरी तरफ, इसके मुकाबले पंजाब की अर्थव्यवस्था का आकार 5.18 लाख करोड़ रुपये का है. यानी कश्मीर की अर्थव्यवस्था का आकार पंजाब के मुकाबले करीब चार गुना कम है.
2. राजस्व का आधा हिस्सा केंद्रीय सहायता
हाल के वर्षों में कश्मीर की अर्थव्यवस्था केंद्र के अनुदान के सहारे ही आगे बढ़ पाई है, जिसका कुल राजस्व में आधे से ज्यादा हिस्सा होता है. साल 2018-19 में जम्मू-कश्मीर सरकार के बजट अनुमान में 34,330 करोड़ रुपये अनुदान बताया गया था, जबकि इस दौरान राज्य का कुल राजस्व 64,269 करोड़ रुपये था.
3. सीमित है मैन्युफैक्चरिंग
राज्य की अर्थव्यवस्था खेती और सेवाओं पर निर्भर है. राज्य के प्रमुख उद्योगों में पर्यटन, हस्तशिल्प, रेशम उत्पादन, हैंडलूम, बागबानी, फूड प्रोसेसिंग और कृषि है. हालांकि, राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण से पता चलता है कि सकल राज्य घरेलू उत्पाद का महज 0.9 फीसदी उद्योगों पर खर्च किया जाता है. राज्य की मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि सिर्फ कृषि उत्पादों और हस्तशिल्प तक सीमित है.
4. चरम पर बेरोजगारी
जनवरी 2016 से जुलाई 2019 के बीच राज्य में औसत बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा 15 फीसदी रही है. यह राष्ट्रीय औसत 6.4 फीसदी के दोगुने से ज्यादा है.
5. रियल एस्टेट कारोबार मामूली
अभी तक जम्मू-कश्मीर में रियल एस्टेट कारोबार बहुत मामूली रहा है, लेकिन अब विशेष दर्जा खत्म होने के बाद बाहर के लोगों को यहां जमीनें खरीदने का अधिकार मिल जाएगा. इससे रियल एस्टेट की कीमतों में भी इजाफा होगा.
(www.businesstoday.in से साभार)