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अनुच्छेद 370: कश्मीर अब युवाओं के लिए बनेगा वास्तविक स्वर्ग! बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

अनुच्छेद 370 के दो खंडों को मोदी सरकार ने खत्म कर दिया है तो कश्मीर वहां के युवाओं के लिए वास्तव में स्वर्ग बन सकता है. सबसे पहला फायदा तो वहां उद्योगों की स्थापना, नौकरियाें का सृजन, लोगों को बिजली-गैस की बेहतर उपलब्धता का हो सकता है.

कश्मीर में बढ़ेंगे रोजगार के अवसर कश्मीर में बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 11:40 AM IST

कश्मीर में अभी तक प्रवासियों को कोई अधिकार नहीं था और निवेश को प्रोत्साहन नहीं मिलता था. लेकिन अब जब अनुच्छेद 370 के दो खंडों को मोदी सरकार ने खत्म कर दिया है तो कश्मीर वहां के युवाओं के लिए वास्तव में स्वर्ग बन सकता है. सबसे पहला फायदा तो वहां उद्योगों की स्थापना, नौकरियाें का सृजन, लोगों को बिजली-गैस की बेहतर उपलब्धता का हो सकता है. इससे राज्य का आर्थ‍िक विकास तेज होगा. कश्मीरियों को अब जल्दी ही करीब 3 ट्रिलियन डॉलर की भारतीय इकोनॉमी से एकीकृत होने का फायदा मिलेगा.

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कई जानकारों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर को 370 से फायदे की जगह नुकसान ज्यादा था. अब भारत के सभी कानून कश्मीर में लागू हो जाएंगे. पहले कश्मीर में कोई सुविधा बहाल करने में वर्षों लग जाते थे, क्योंकि इसके लिए राज्य सरकार के अपने कानून लागू होते थे. जीएसटी में राज्य बाद में शामिल हुआ, गैस पाइपलाइन को मंजूर करने में राज्य सरकार ने दो साल लगा दिए, लेकिन अब राज्य में बाकी देश के साथ ही कोई सुविधा आ सकती है.

जमीन खरीद से मिलेगा फायदा

अब कश्मीर में कोई भी जमीन खरीद सकता है. इसका सबसे बड़ा फायदा औद्योगिक गतिविधियों के लिए होगा. जम्मू के अलावा अभी उधमपुर और कठुआ इलाके में ग्लास, प्लास्ट‍िक और बिल्ड‍िंग मटीरियल के इंडस्ट्र‍ियल एस्टेट हैं. एक निवेशक ने बताया, 'पहले ऐसे एस्टेट बनाने के लिए आपको जमीन या तो लीज पर लेनी होती थी, या किसी स्थानीय नागरिक के साथ गठजोड़ करना होता था. इन दोनों में कारोबार की लागत काफी बढ़ जाती थी.'  

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बड़े कॉरपोरेट घराने अभी तक राज्य में निवेश से बचते रहे. एक उद्योगपति ने बताया कि राज्य में कुशल श्रमिकों को बाहर से भेजना एक तरह से असंभव ही था. उन्होंने कहा, 'कारखाने स्थापित करने के लिए जमीन नहीं मिलती थी. आप यदि उधमपुर और कठुआ के इंडस्ट्र‍ियल एस्टेट में भी चले जाएं तो समस्या यह है कि कामगार वहां जाने को तैयार नहीं होते. असल में कामगार वहां मकान बनाने के लिए जमीन नहीं खरीद सकते थे और बच्चों को वहां के स्कूलों में एडमिशन नहीं मिलता.'

राज्य की जनसंख्या करीब 1 करोड़ ही है, ऐसे में वहां उद्योगों की स्थापना के लिए बाहर से कामगार ले जाने की जरूरत होगी. अब वहां लोग जाना भी पसंद करेंगे क्योंकि अब कोई भी वहां जमीन खरीद सकेगा और अपने बच्चों को स्कूलों में पढ़ा सकेगा.

नौकरियों का सृजन होगा तेज

कश्मीर के युवाओं में बेरोजगारी एक समस्या रही है, इसकी वजह से वे पत्थरबाजी जैसे भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होते हैं. लेकिन अब राज्य में बड़े पैमाने पर नौकरियों का सृजन हो सकता है. विप्रो ने श्रीनगर में आईटी और आरऐंडडी सेंटर स्थापित करने की तैयारी शुरू की है. फार्मा सेक्टर की कई देसी-विदेशी कंपनियां भी जम्मू-कश्मीर में प्रोजेक्ट लगाने की इच्छुक हैं. जम्मू-कश्मीर के कई घराने भ्रष्टाचार, भाई-भतीजवाद और सांप्रदायिकता को बढ़ावा दिया है.

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कारोबार के लिए बनेगा मुफीद माहौल

कारोबार के लिए माहौल बेहतर होने की उम्मीद की जा रही है, क्योंकि कश्मीर में कुछ जमे-जमाए सामंती परिवारों का दबदबा कम होगा और भ्रष्टाचार में भी कमी आएगी. इसके अलावा केंद्र सरकार की सख्ती से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद में कमी आएगी, अलगाववादी हाशिए पर जाएंगे, भारतीय सुरक्षा बल मजबूत होंगे. इन सबकी वजह से शांति का माहौल बनेगा तो कारोबार के लिए भी मुफीद माहौल बनेगा.

(www.businesstoday.in के इनपुट पर आधारित)

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