
वित्त मंत्री अरुण जेटली इन दिनों अमेरिका यात्रा पर हैं. अपनी यात्रा के दौरान जेटली ने हावर्ड यूनिवर्सिटी में संबोधन किया. यहां जेटली ने कहा कि भारत में एक सुस्त टैक्स सिस्टम है. हमें इसे चेंज करने की कोशिश कर रहे हैं. हम टैक्स प्रणाली के बेस को बढ़ा रहे हैं, अभी कैश एक बड़ी समस्या है.
जेटली ने कहा कि नोटबंदी को लोगों ने ठीक तरीके से नहीं समझा, बैंक में पूरा पैसा आ जाना इसका मतलब ये नहीं है कि पूरा पैसा ठीक ही हो. भारत में टैक्स डिपार्टमेंट काफी भ्रष्ट है, इसलिए हम टैक्स को ऑनलाइन भरने के लिए आसान बना रहे हैं.
जेटली ने बताया कि रियल स्टेट को जल्द ही जीएसटी के तहत लाया जा सकता है, जिससे लोगों को फायदा मिलेगा. गुवाहाटी में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस पर फैसला हो सकता है.
जेटली बोले कि भारत में सिर्फ 5.5 मिलियन लोगों ने ही जीएसटी के तहत टैक्स भरा है, उनमें से भी 40 फीसदी लोगों ने ज़ीरो टैक्स दिया है. भारत में सबसे कम पर्सनल इनकम का ग्राफ है. जेटली ने बताया कि देश में जो लग्ज़री सेग्मेंट है उनकी इनकम को अब उनके खर्च के आधार पर ट्रेस किया जा सकेगा.
उन्होंने बताया कि नोटबंदी और जीएसटी का फायदा लंबे समय में देश के सामने आएगा. शॉर्ट समय में इसके कुछ चैलेंज देखने को मिल सकते हैं. राज्य सरकारों ने जीएसटी का समर्थन किया है, GST से 80 फीसदी तक की कमाई राज्य सरकार के खाते में ही जा रही है.
जेटली बोले कि नोटबंदी का मकसद नकदी जब्त करना नहीं था, बल्कि पैसे के मालिक की पहचान करना था. युवा भारत ने इस बात को स्वीकार कर लिया है, लेकिन पुराना भारत बिना कैश के नहीं चल पा रहा है.