
कल यानी 30 जून की रात 17 साल पुराना एक सपना पूरा होने जा रहा है. देश का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) संसद में आयोजित एक भव्य समारोह में लॉन्च होगा. केंद्र सरकार और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि है.
जीएसटी के जरिए एक देश-एक टैक्स की जो व्यवस्था लागू होने जा रही है उससे भारत में व्यापार करना आसान होगा, टैक्स चोरी रुकेगी, कर प्रक्रिया आसान होगी और सरकार का राजस्व बढ़ेगा जिससे जीडीपी में भी ग्रोथ देखने को मिलेगी. यही वजह है कि बीजेपी जीएसटी को 2019 की चुनावी जंग के लिए एक बड़ा हथियार मान रही है. लेकिन अगर इतिहास पर नजर डालें तो ये बड़ा दांव उसके लिए उल्टा भी पड़ सकता है.
सरकार की लोकप्रियता में कमी
कनाडा की प्रगतिशील कंज़र्वेटिव पार्टी के नेता, प्रधानमंत्री किम कैंपबेल को 1993 के राष्ट्रीय चुनाव में करारी हार देखनी पड़ी थी क्योंकि उनकी सरकार ने जीएसटी को लागू करने के बाद अपनी लोकप्रियता खो दी थी. लगभग 80 प्रतिशत मतदाताओं ने कराधान कानून को खारिज कर दिया था जिसके बाद जीन शिरेटीन के नेतृत्व में लिबरल पार्टी ने सदन में एक मजबूत बहुमत प्राप्त किया और कनाडा की अगली सरकार का गठन किया.
ऑस्ट्रेलिया में, जॉन हॉवर्ड सरकार ने जीएसटी को लागू करने के तुरंत बाद 1998 में चुनाव में बड़ी मुश्किल से वापसी की. जीएसटी लागू करने वाले अधिकतर देशों को बहुत ज्यादा महंगाई का सामना करना पड़ा. सिंगापुर ने भी 1994 में जब जीएसटी लागू किया तो वहां महंगाई काफी बढ़ी थी.
महंगाई बढ़ना बड़ा मुद्दा
जीएसटी लागू होने के बाद भारत में भी महंगाई बढ़ने की आशंका ज्यादा है. अगर ऐसा हुआ तो आज जीएसटी को लेकर बीजेपी का समर्थन कर रहे लोग कल उसके विरोध में जा सकते हैं. इससे पहले कांग्रेस ने जीएसटी को लटकाने का काम किया. नतीजा ये हुआ कि जीएसटी अब जाकर लागू हो रही है और माना जा रहा है कि उसके लागू होने के बाद अगले दो-तीन साल तक महंगाई बढ़ेगी. यानी जब 2019 के चुनाव के लिए वोट डाले जा रहे होंगे तब महंगाई से जनता परेशान होगी. अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी को चुनाव में इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है.
यही नहीं जल्द ही गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे कई महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें से कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस का राज है जबकि बाकी राज्यों में भाजपा सत्ता में है. यदि जीएसटी से लोग नाराज हुए तो इन राज्यों में बीजेपी को अपनी सत्ता कायम रखने में काफी मुश्किल होगी.
व्यापारियों का गुस्सा?
व्यापारी वर्ग बीजेपी का पारंपरिक मतदाता माना जाता है. अब जबकि जीएसटी लागू होने जा रहा है तो देशभर में कई जगह व्यापारी गुस्से में हैं. कुछ जगहों पर तो कल व्यापारियों ने बिजनेस बंद रखने का ऐलान किया है. व्यापारियों को डर है कि नए कर ढांचे से उनके लिए मुश्किलें खड़ी होंगी क्योंकि पहले की तुलना में तकरीबन तीन गुना टैक्स रिटर्न उन्हें भरने होंगे. इसके अलावा बिलिंग के मुद्दे भी ऐसे हैं जिनपर उन्हें लग रहा है कि वो अपना वर्तमान प्रॉफिट बचा पाने में सफल नहीं हो पाएंगे. ये वो वर्ग है जो पहले ही नोटबंदी की मार झेल रहा है, अब जीएसटी के झटके से वो बीजेपी के खिलाफ खड़ा हो सकता है.
विपक्ष के लिए मौका-मौका
मोदी सरकार के आने के बाद से अब तक तीन साल गुजर चुके हैं लेकिन विपक्ष कोई ऐसा मुद्दा ढूंढने में सफल नहीं हो पाया है जिससे वो एकजुट होकर सरकार को कटघरे में खड़ा कर सके और जिसमें जनता का भी साथ उसे मिले. नोटबंदी के दौरान कुछ पार्टियों खासकर तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने ऐसी कोशिश की थी लेकिन वो ज्यादा सफल नहीं हो पाई क्योंकि न तो व्यापारियों का और न ही आम जनता का उन्हें कोई सपोर्ट मिला लेकिन जीएसटी से यदि महंगाई बढ़ी तो विपक्ष एकजुट होकर केंद्र पर हमलावर हो सकता है