Advertisement

BRICS: मोदी और जिनपिंग के बीच RCEP पर बातचीत, क्या दूर होंगी भारत की चिंताएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच BRICS समिट के दौरान क्षेत्रीय आर्थ‍िक साझेदारी समझौते (RCEP) पर भी बातचीत हुई है. चीन ने RCEP के बारे में भारत की चिंताओं को दूर करने की इच्छा जताई है.

ब्रिक्स समिट के दौरान पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फोटो: PTI) ब्रिक्स समिट के दौरान पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फोटो: PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:13 AM IST

  • BRICS समिट के दौरान पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वार्ता
  • दोनों नेताओं ने कई अहम मसलों के साथ ही RCEP पर भी बातचीत की है
  • ब्राजील के ब्रासिलिया शहर में आयोजित हुआ BRICS देशों का श‍िखर सम्मेलन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच ब्राजील के ब्रासिलिया शहर में आयोजित BRICS समिट के दौरान क्षेत्रीय आर्थ‍िक साझेदारी समझौते (RCEP) पर भी बातचीत हुई है. दोनों नेताओं के बीच इस बारे में बातचीत हुई है कि क्या भविष्य में इसमें भारत के शामिल होने की गुंजाइश बन सकती है. गौरतलब है कि चीन ने RCEP के बारे में भारत की चिंताओं को दूर करने की इच्छा जताई है.

Advertisement

भारत ने अपने किसानों, पशुपालकों और व्यापारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रीय आर्थ‍िक साझेदारी समझौते (RCEP) से बाहर रहने का निर्णय लिया था. ब्रिक्स समिट में शामिल होने गए दोनों नेताओं के बीच चीन और भारत के कई पारस्परिक मसलों पर बातचीत हुई.

इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, इस अवसर पर जारी संयुक्त बयान में कहा गया है, 'दोनों नेताओं ने व्यापार और निवेश के मसलों पर गहरा संवाद कायम करने के महत्व पर जोर दिया. राष्ट्रपति शी ने पीएम मोदी को इस बात के लिए धन्यवाद दिया कि हाल में शंघाई में आयोजित चाइना एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट एक्सपो में भारत ने हिस्सेदारी की है. दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि व्यापार और अर्थव्यवस्था पर उच्च स्तर का तंत्र जल्दी कायम होना चाहिए. दोनों नेताओं ने डब्लूटीओ, BRICS और RCEP जैसे कई मसलों पर बातचीत हुई.' 

Advertisement

क्या है RCEP

गौरतलब है कि RCEP दक्षिण एशियाई देशों के प्रमुख संगठन आसियान के 10 देशों (ब्रुनेई, इंडोनेशिया, कंबोडिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम) और इसके 6 प्रमुख एफटीए सहयोगी देश चीन, जापान, भारत, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच एक प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता है. भारत ने इस व्यापार समझौते का हिस्सा नहीं बनने का फैसला लिया है.

पीएम मोदी ने कहा है, 'RCEP समझौते का मौजूदा स्वरूप बुनियादी भावना और मान्य मार्गदर्शक सिद्धांतों को पूरी तरह जाहिर नहीं करता है. यह मौजूदा परिस्थिति में भारत के दीर्घकालिक मुद्दों और चिंताओं का संतोषजनक रूप से समाधान भी पेश नहीं करता है.'

RCEP से क्यों अलग हुआ बाहर

RCEP के तहत इन देशों के बीच पारस्परिक व्यापार में टैक्स में कटौती के अलावा कई तरीके की आर्थिक छूट दी जाएगी. भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 50 अरब डॉलर से ज्यादा है. भारत को ये आशंका है कि RCEP में शामिल होने से भारतीय बाजार में चीन के माल और भी पट जाएंगे, क्योंकि तब तीसरे देशों से भी चीन का माल आना आसान हो जाएगा.

हालांकि चीन इस मामले में भारत की चिंताओं को दूर करने और भारत को मनाने की कोशिश कर रहा है. इस बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह और चीन के उप प्रधानमंत्री हू चुनहुआ के बीच आगे की बातचीत होगी. ऐसी व्यवस्था बनाने की कोशिश की जा रही है कि एक सीमा से ज्यादा चीनी माल भारत में आने पर इसकी एक स्वत: चेतावनी मिल जाए और उसे रोक दिया जाए.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement