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केन्द्र सरकार के मुताबिक FRDI कानून से और सुरक्षित हो जाएगा बैंक में जमा आपका पैसा

केन्द्र सरकार ने संसद में प्रस्तावित एफआरडीआई बिल 2017 पर सफाई दी है कि दिए गए प्रस्तावों के जरिए ग्राहकों को अतिरिक्त सुरक्षा देने के साथ-साथ बैंकिंग क्षेत्र में अधिक पारदर्शिता लाने की कोशिश की गई है. लिहाजा, बनने वाले नए कानून से बैंक ग्राहकों के किसी हित को नुकसान नहीं होगा.

वित्त मंत्री अरुण जेटली वित्त मंत्री अरुण जेटली
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:52 PM IST

केन्द्र सरकार ने प्रस्तावित फाइनेनशियल रेजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल 2017(एफआरडीआई बिल) के विषय पर कहा है संसद में पेश किए गए बिल में बैंक ग्राहकों के लिए मौजूदा सुरक्षा प्रावधानों में किसी तरह के ऐसे बदलाव की पेशकश नहीं की है जिससे उनके हितों को नुकसान पहुंचे. केन्द्र सरकार ने दावा किया है कि संसद में पेश बिल में प्रस्तावों के जरिए ग्राहकों को अतिरिक्त सुरक्षा देने के साथ-साथ बैंकिंग क्षेत्र में अधिक पारदर्शिता लाने की कोशिश की गई है.

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केन्द्र सरकार की यह सफाई उन खबरों को नकारने के लिए दी गई है जिनमें दावा किया जा रहा था कि एफआरडीआई बिल में किए गए बेल-इन प्रावधानों से बैंक के ग्राहकों की जमा रकम पर खतरा आ सकता है. केन्द्र सरकार ने इन भ्रांतियों को नकारते हुए कहा है कि 11 अगस्त 2017 को लोकसभा में पेश एफआरडीआई बिल मौजूदा समय में संसद की ज्वाइंट समिति द्वारा विचाराधीन है. वहीं ज्वाइंट समिति इस बिल पर सभी हितधारकों से राय लेने का काम कर रही है जिससे बैंकों के स्वास्थ और बैंक ग्राहकों के सुरक्षा मानदंडों को अधिक मजबूत किया जा सके.

केन्द्र सरकार के मुताबिक मौजूदा समय में बैंक के प्रत्येक ग्राहक को 1 लाख रुपये तक के डिपॉजिट को डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन के तहत सुरक्षा दी जाती है. वहीं 1 लाख रुपये से अधिक के डिपॉजिट को किसी तरह की सुरक्षा नहीं दी जाती और उसे असुरक्षित ऋणदाता के दावे के समकक्ष माना जाता है. लिहाजा, प्रस्तावित बिल में केन्द्र सरकार ने मौजूदा सुरक्षा देने के साथ-साथ असुरक्षित पैसे के भी सुरक्षा मानदंड को बढ़ाने की पेशकश की है.

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केन्द्र सरकार का दावा है कि एफआरडीआई बिल बैंक ग्राहकों के हितों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है जबकि अन्य जगहों पर बेल-इन प्रावधानों में क्रेडिटर और डिपॉजिटर के मंजूरी का प्रावधान नहीं रहता है. वहीं प्रस्तावित कानून में सरकारी बैंको समेत सभी बैंकों के फाइनेनसिंग और रेजोल्यूशन की सरकार की शक्तियों में भी किसी कटौती का प्रस्ताव नही किया गया है. लिहाजा सरकारी बैंकों को सरकार की निहित गारंटी में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा.

केन्द्र सरकार ने दावा किया है कि देश के बैंकों के पास पर्याप्त कैपिटल मौजूद है और उनकी निगरानी भी दुरुस्त है जिससे उनके स्वास्थ और सुरक्षा की गारंटी मिलती है. मौजूदा कानून बैंकों की ईमानदारी, सुरक्षा और स्वास्थ को सुनिश्चित करते हैं. केन्द्र सरकार ने दावा किया है कि बैंकों की मजबूती और ग्राहकों की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केन्द्र सरकार सभी जरूरी कदम उठा रही है.

लिहाजा, प्रस्तावित एफआरडीआई बिल से देश की बैंकिंग व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए नया रेजोल्यूशन ढांचा खड़ा किया जाएगा जिससे यदि की बैंक वित्तीय सेवा देने में नाकाम होता है तो बैंक ग्राहकों के हित में जल्द से जल्द फैसला लिया जा सके.

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