
सिंगापुर में स्थायी कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने जापान की कार निर्माता कंपनी निसान से विवाद की सुनवाई में भारत को झटका दिया है. दरअसल, कोर्ट ने भारत सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि न्यायालय के पास निसान द्वारा भारत के खिलाफ लाए गए एक मामले पर आदेश देने का अधिकार नहीं है.
बता दें कि भारत सरकार ने साल 2017 में सिंगापुर के कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में याचिका दायर की थी. रॉयटर्स की खबर के मुताबिक अगर भारत के तर्क को मंजूरी मिल गई होती तो कार निर्माता कंपनी निसान से जुड़ा मामला खारिज हो सकता था. अब सिंगापुर के सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार अपील दायर कर सकती है. इस बीच निसान की ओर से कहा गया है कि मामले को सुलझाने के लिए भारत सरकार से बातचीत की जा रही है.
क्या है मामला
दरअसल, साल 2016 में निसान ने मोदी सरकार को एक कानूनी नोटिस भेजा था. इस नोटिस में 5,000 करोड़ रुपये (720 मिलियन डॉलर) से अधिक के हर्जाने की मांग की गई थी. यह मामला साल 2008 का है. इस साल कार निर्माता कंपनी निसान ने तमिलनाडु में कार मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित किया था. इस प्लांट के लिए राज्य सरकार की ओर से टैक्स में छूट सहित कई प्रोत्साहन का वादा किया गया था.
जापान की कंपनी निसान का आरोप है कि इस मामले में द्विपक्षीय व्यापक आर्थिक साझेदारी करार (सीईपीए) का उल्लंघन हुआ है. इस करार के तहत भारत में निवेश करने वाली जापानी फर्मों को कुछ संरक्षण मिलता है. इसी समझौते की वजह से भारतीय कंपनियों को भी जापान में सुविधाएं मिलती हैं. बता दें कि साल 2008 में निसान ने फ्रांस के Renault के साथ मिलकर चेन्नई में कार प्लांट की शुरुआत की थी. निसान और Renault ने इस प्लांट के लिए 6 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश किया है. इस प्लांट में सालाना 4 लाख 80 हजार से अधिक व्हीकल प्रोडक्शन और 40 हजार के करीब नौकरियों का लक्ष्य था.