
केंद्रीय बजट में भारत-ईरान की दोस्ती के प्रतीक चाबहार पोर्ट के लिए बजट कम कर दिया गया है. नरेंद्र मोदी सरकार के इस कदम को लेकर ईरान के राजनयिक हलकों में चिंता देखी गई है. केंद्रीय बजट में चाबहार पोर्ट के आवंटन 45 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जबकि पिछले साल ये आवंटन 150 करोड़ था. हालांकि राजनयिक सूत्रों ने इंडिया टुडे से कहा है कि भारत इस प्रोजेक्ट के प्रति अब भी कमिटेड है.
एक भारतीय राजनयिक ने इंडिया टुडे से कहा, "कई बार राष्ट्र रणनीतिक और तार्किक फैसले लेते हैं, इसका ये मतलब नहीं है कि भारत इस प्रोजेक्ट के प्रति कमिटेड नहीं है, आवंटन में बढ़ोतरी और कमी सामान्य है, इससे पोर्ट प्रोजेक्ट पर कोई असर नहीं पड़ेगा."
बता दें कि चाबहार पोर्ट ईरान में भारत द्वारा विकसित किया जा रहा है. इस पोर्ट के जरिए बिना पाकिस्तान से गुजरे अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया को भारत से जोड़ा जा सकेगा. दरअसल ये पोर्ट पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट का भारत द्वारा जवाब है. इस पोर्ट का उदघाटन दिसंबर 2017 में हुआ था. इस साल जनवरी में भारत ने इस पोर्ट का ऑपरेशन अपने हाथ में ले लिया था.
भारत भले ही ईरान को भरोसा दे रहा हो लेकिन ईरान के राजनयिक मानते हैं कि चाबहार में विकास का काम धीमा हो गया है. एक राजनियक ने कहा, "चाबहार में काम में प्रगति तो हो रही है लेकिन काम की गति धीमी हो गई है. दोनों देश के नेता चाहे जो भी चाहते हों, लेकिन वक्त बर्बाद हो रहा है." हालांकि इस सूत्र ने यह भी कहा कि निश्चित रूप से भारत रणनीतिक महत्व के इस प्रोजेक्ट से अपना ध्यान नहीं हटा रहा है.
एक वरिष्ठ राजनयिक ने कहा, "जहां तक हम समझ पा रहे हैं और देख रहे हैं, भारत चाबहार को लेकर गंभीर है और वे निवेश को लेकर गंभीर हैं, ये भारत की राष्ट्रीय अभिव्यक्ति है, पीएम मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर, नितिन गडकरी और सभी सांसद चाहे वो किसी भी पार्टी के हो, चाबहार प्रोजेक्ट के प्रति गंभीर हैं" इससे पहले भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने ताजिकिस्तान में मुलाकात की थी और इस मुद्दे पर बात की थी.