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बंद हो जाएगी डुगडुगी बजाकर कंपनियों के एसेट नीलामी की परंपरा! सेबी ने दिया प्रस्ताव

Company Asset Auction कंपनियों के एसेट नीलामी के लिए डुगडुगी या ढोल बजाकर मुनादी करने की बहुत पुरानी परंपरा खत्म हो सकती है. असल में बाजार नियामक सेबी ने कहा है कि यह चलन काफी पुराना पड़ चुका है और अब इसकी जरूरत नहीं है.

सेबी ने रखा नियमों में बदलाव का प्रस्ताव सेबी ने रखा नियमों में बदलाव का प्रस्ताव
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 18 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 11:07 AM IST

किसी नीलामी के लिए डुगडुगी बजा कर या मुनादी लगा कर ऐलान करने की परंपरा बंद हो सकती है. इस तरह से जनता को आकर्षिक करने के अपने फायदे होते होंगे पर बाजार नियामक सेबी को लगता है कि ये तरीके बीते जमाने की बात हो गए हैं और आज के समय में नए तरीकों से बेहतर परिणाम देखने को मिल सकते हैं.

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असल में शेयर एवं प्रतिभूति बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) को शुल्क भरने में चूक करने या आदेश के अनुसार भुगतान न करने वाली इकाइयों की सम्पत्ति बेच कर वसूली करने के अधिकार है. इन अधिकारों की समीक्षा के समय नीलामी के दौरान अपनाए जाने वाले इन पुराने तरीकों की बात सामने आई.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि सेबी जुर्माना, शुल्क, वसूली की राशि या रिफंड के आदेश के संबंध में वसूली के नए नियम तैयार करने के लिये वित्त मंत्रालय से परामर्श कर रहा है. सेबी के पास कर्ज की किस्तें चुकाने में चूक करने वाले डिफॉल्टर की संपत्ति और बैंक खाते जब्त करने, डिफॉल्टर को गिरफ्तार करने या उसे हिरासत में लेने और डिफॉल्टर की चल एवं अचल संपत्तियों के प्रबंधन के लिये किसी को नियुक्त करने का अधिकार है.

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अधिकारी के अनुसार, सेबी ने सरकार के समक्ष प्रजेंटेशन में कहा, 'इनकम टैक्स एक्ट के कुछ प्रावधान पुराने हो गये हैं, जैसे कि ढोल बजाना और सार्वजनिक नीलामी. अखबारों में विज्ञापन और ई-नीलामी जैसे नये तरीके बेहतर परिणाम दे सकते हैं.' सेबी ने वसूली के तेज और प्रभावी तरीकों को अमल में लाने के लिये सरकार को नियमों में आवश्यक संशोधन करने को कहा है. आईटी एक्ट के मौजूदा प्रावधानों के तहत किसी भी संपत्ति को जब्त करने से पहले किसी जाने-माने स्थान या जब्त की जाने वाली संपत्ति के पास डुगडुगी पिटवा कर या मुनादी (पुकार) लगवा कर कुर्की आदि के आदेश की घोषणा करनी होती है.

इसके अलावा जब्ती के आदेश को उक्त संपत्ति के परिसर में जनता को स्पष्ट रूप से दिखने वाले स्थान पर तथा कर वसूली अधिकारी के ऑफिस के बोर्ड पर चिपकाना होता है. मंत्रालय ने सेबी के सुझाव के जवाब में कहा कि आईटी एक्ट के वसूली के प्रावधानों को सेबी अधिनियम के तहत संशोधित किया जा सकता है और यह अधिकार केंद्र सरकार के पास है. अत: इसमें संशोधन केंद्र सरकार के बनाये नियमों के आधार पर ही होना चाहिये.

इसके अलावा सेबी ने अपने मुख्यालय के लिए 'बाम्बे' शब्द की जगह 'मुंबई' इस्तेमाल करने का भी प्रावधान रखा है. सेबी ने करीब एक साल पहले यह तय किया था कि मार्केट इंटरमीडिएटरी के रूप में सब ब्रोकर की कैटेगिरी को खत्म करेगा और उसके हिसाब से नियमों में बदलाव भी किए गए थे. इसलिए सेबी ने सुझाव दिया है एक्ट में से 'सब ब्रोकर' शब्द को भी हटाया जाए.

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