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लॉकडाउनः रियल एस्टेट को 2 लाख करोड़ का नुकसान, घट सकते हैं प्रॉपर्टी के दाम

नारेडको अध्यक्ष आरके अरोड़ा ने दावा किया कि कोरोना वायरस के चलते किए गए लॉकडाउन की वजह से रोजाना करीब पांच हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. इस तरह तीन मई तक करीब 2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
तनसीम हैदर
  • नोएडा,
  • 03 मई 2020,
  • अपडेटेड 8:31 PM IST

  • उत्तर प्रदेश सरकार से प्रोजेक्ट पूरे करने की समय सीमा बढ़ाने की अपील
  • नारेडको ने सरकार से जमीन की बकाया किस्त को भी टालने की मांग की

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने गौतमबुद्धनगर में उद्यमी संघ को थोड़ी राहत दी है, लेकिन अब भी कई समस्याएं हैं. तीनों प्राधिकरणों ने लीज रेंट में छूट दी है, लेकिन बिल्डरों की समस्याओं को कम किया जाना अब भी बाकी है.

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दरअसल, नोएडा और ग्रेटर नोएडा का प्रमुख हिस्सा हॉटस्पॉट में आ रहा है, जहां करीब 40 बफर जोन हैं और पूरी तरह से सील हैं. बिल्डरों के निकाय, नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) ने यूपी सरकार को चिट्ठी लिखकर एक अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक जमीन की किस्तों को टालने और 2 साल के लिए रिशिड्यूल करने की अपील की है. साथ ही प्रोजेक्ट को 30 जून 2021 तक पूरा करने की समय सीमा को बढ़ाने की मांग की है.

नारेडको अध्यक्ष आरके अरोड़ा का कहना है कि हमने सरकार से मांग की है कि वो एक वर्ष के लिए भूमि की बकाया किस्त को टाल दे और भूमि बकाया पर ब्याज को कम करें, क्योंकि कोरोना वायरस के चलते गहराए संकट की वजह से भुगतान नहीं कर सकते हैं. इस महामारी के चलते हमारा सारा कामकाज ठप हो गया है.

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कोरोना के चलते लटके प्रोजेक्ट, फ्लैट मिलने में होगी देरी

एनसीआर खासकर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कई प्रोजेक्ट्स पहले से ही काफी देरी से चल रहे हैं. अब कोरोना वायरस के चलते निर्माणाधीन अपार्टमेंटों के पूरा होने में और भी देरी हो सकती है. नारेडको अध्यक्ष अरोड़ा ने कहा कि सरकार ने फ्लैटों की डिलीवरी और बकाया पर कुछ राहत का दावा करने के लिए पहले जून 2021 की तारीख तय की थी.

उन्होंने कहा कि अब हमने मांग की है कि इस फ्लैट की डिलीवरी की तारीख को जून 2023 तक बढ़ा दिया जाना चाहिए, क्योंकि निर्माण कार्य बंद है और कोरोना के कारण जल्द शुरू होने की संभावना कम है. मजदूर भी पलायन कर चुके हैं, जिसके चलते काम करना संभव नहीं हो सकता है.

रियल एस्टेट को रोजाना हो रहा 5000 करोड़ का नुकसान

आरके अरोड़ा ने दावा किया कि कोरोना वायरस के चलते किए गए लॉकडाउन की वजह से रोजोना पांच हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. इस तरह तीन मई तक 2 लाख करोड़ रुपये के नुकसान हो चुका है. जानकारों का कहना है कि मौजूदा हालात को देखते हुए प्रॉपर्टी की कीमतों में 10 से 20 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है.

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एनसीआर क्षेत्र के स्थानीय प्रशासन ने 3 मई तक नोएडा और गाजियाबाद में निर्माण कार्य बंद करने के निर्देश दिए थे. गुरुग्राम और फरीदाबाद में बिल्डर आवश्यक मंजूरी मिलने के तुरंत बाद काम फिर से शुरू कर सकते हैं. एनसीआर के अन्य शहरों में ग्रेटर नोएडा में लगभग एक लाख 20 हजार प्रोजेक्ट निर्माणाधीन है.

कोरोना के चलते रियल एस्टेट पर कितना असर?

ACE ग्रुप के सीएमडी अजय चौधरी ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से देरी होगी, लेकिन हम नुकसान का कोई आंकड़ा सामने नहीं रखेंगे. हालांकि नुकसान तो अरबों का हुआ है. फिलहाल हम बस यह चाहते हैं कि हालात ठीक हो जाएं और जहां भी परियोजनाएं निर्माणाधीन हों, बिल्डर मजदूरी का भुगतान करने के साथ ही मजदूरों के लिए भोजन व रहने की व्यवस्था सुनिश्चित करें.

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दरअसल राज्य के औद्योगिक निकायों, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को बिल्डरों से करीब 35,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि वसूलना है. बिल्डरों का मानना है कि कोरोना वायरस के चलते निर्माण कार्य बंद है. लिहाजा वो जमीन की बकाया किश्त अभी नहीं चुका पाएंगे.

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