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27 अगस्त को होने वाली है GST काउंसिल की बैठक, राज्यों के मुआवजे पर होगी चर्चा

खबरों के मुताबिक माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की इस 41वीं बैठक का एकमात्र एजेंडा राज्यों की क्षतिपूर्ति का होगा. यह बैठक वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के जरिए होगी.

जीएसटी की बैठक में राज्यों के मुआवजे पर होगी बात जीएसटी की बैठक में राज्यों के मुआवजे पर होगी बात
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 10:07 PM IST

  • 41वीं बैठक का एकमात्र एजेंडा राज्यों की क्षतिपूर्ति का होगा
  • जीएसटी काउंसिल की पूर्ण बैठक 19 सितंबर को होनी है

जीएसटी परिषद की बैठक 27 अगस्त को होने वाली है. खबरों के मुताबिक माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की इस 41वीं बैठक का एकमात्र एजेंडा राज्यों की क्षतिपूर्ति का होगा. यह बैठक वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के जरिए होगी.

इसके अलावा जीएसटी काउंसिल की पूर्ण बैठक 19 सितंबर को होगी. इसका एजेंडा अभी तय होना है. खबरों के मुताबिक सरकार के अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा है कि केंद्र के पास राज्यों के जीएसटी राजस्व में किसी भी कमी के लिए कोई वैधानिक दायित्व नहीं है.

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मुआवजे पर बैठक में होगी चर्चा

महान्यायवादी की राय को देखते हुए राज्यों को राजस्व में कमी को पूरा करने के लिए बाजार उधारी के विकल्प को देखना पड़ सकता है. इस बारे में जीएसटी परिषद में अंतिम फैसला लिया जा सकता है.

केंद्र सरकार ने मार्च में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से क्षतिपूर्ति कोष में कमी को पूरा करने के लिए जीएसटी परिषद द्वारा बाजार से कर्ज लेने की वैधता पर राय मांगी थी. क्षतिपूर्ति कोष का गठन लग्जरी और अहितकर वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगाकर किया गया है. इसके जरिए राज्यों को जीएसटी लागू करने से राजस्व में होने वाली किसी भी कमी की भरपाई की जाती है.

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महान्यायवादी ने यह भी राय दी थी कि काउंसिल को पर्याप्त राशि उपलब्ध कराकर जीएसटी क्षतिपूर्ति कोष में कमी को पूरा करने के बारे में फैसला करना है. खबरों के अनुसार परिषद के पास कमी को जीएसटी दरों को युक्तिसंगत कर, क्षतिपूर्ति उपकर के अंतर्गत और जिंसों को शामिल कर अथवा उपकर को बढ़ाकर या राज्यों को अधिक उधार की अनुमति देने जैसे विकल्प हैं.

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जीएसटी कलेक्शन में भारी गिरावट

बाद में राज्यों के कर्ज भुगतान क्षतिपूर्ति कोष में भविष्य में होने से संग्रह से किया जा सकता है. फिलहाल मौजूदा हालात में कर या उपकर की दरों को बढ़ाना व्यवहारिक नहीं है, ऐसे में यह विकल्प बचता है कि प्रत्येक राज्य अपनी संचित निधि के एवज में बाजार से कर्ज लें. जीएसटी कानून के तहत राज्यों को जीएसटी टैक्स के क्रियान्वयन से राजस्व में होने वाले किसी भी कमी को पहले पांच साल तक पूरा करने की गारंटी दी गई है.

जीएसटी एक जुलाई, 2017 से लागू हुआ. कमी का आकलन राज्यों के जीएसटी संग्रह में आधार वर्ष 2015-16 के तहत 14 प्रतिशत सालाना बढ़ोतरी को आधार बनाकर किया जाता है.

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