Advertisement

इंडियन आईटी कंपनियों की वीजा पर निर्भरता हो रही कम: NASSCOM

आईटी इंडस्ट्री बॉडी नैसकॉम ने कहा है कि इंडियन आईटी कंपनियों की वीजा पर निर्भरता कम हो रही है. अब ये कंपनियां टेक्नोलॉजी का यूज कर के वीजा पर अपनी निर्भरता कम करने में लगातार जुटे हुए हैं.

नैसकॉम ने कहा है कि इंडियन आईटी कंपनियों की वीजा पर निर्भरता कम हो रही है नैसकॉम ने कहा है कि इंडियन आईटी कंपनियों की वीजा पर निर्भरता कम हो रही है
विकास जोशी
  • ,
  • 20 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 1:38 PM IST

आईटी इंडस्ट्री बॉडी नैसकॉम ने कहा है कि इंडियन आईटी कंपनियों की वीजा पर निर्भरता कम हो रही है. अब ये कंपनियां टेक्नोलॉजी का यूज कर के वीजा पर अपनी निर्भरता कम करने में लगातार जुटी हुई हैं. नैसकॉम ने H1-B वीजा की प्रीमियम प्रोसेसिंग शुरू होने पर खुशी जताई है. बॉडी के मुताबिक इससे इंडियन आईटी कंपनियों को अपना काम आसानी से करने में मदद मिलेगी.

Advertisement

कम हुई हैं वीजा एप्लिकेशन

नैसकॉम के प्रेसिडेंट आर. चंद्रशेखर ने कहा कि पिछले कुछ सालों के दौरान भारतीय आईटी कंपनियों की तरफ से वीजा एप्लिकेशन में काफी कमी आई है. उनके मुताबिक इसके लिए नई टेक्नोलॉजी का यूज बढ़ना जिम्मेदार है. अब कंपनियां क्लाइंट साइट पर कर्मचारियों को भेजने के की बजाय क्लाइंट की जरूरत पूरी करने के लिए नई टेक्नोलॉजी का यूज कर रहे हैं.

H1-B प्रीमियम प्रोसेसिंग शुरू करने का स्वागत  

वहीं, H1-B वीजा की प्रीमियम प्रोसेसिंग शुरू होने का उन्होंने स्वागत किया. उन्होंने कहा कि हम उम्मीद जता रहे थे कि यह जल्दी शुरू हो जाए. उन्होंने बताया कि अक्सर ए‍क बार बंद होने के बाद इसे शुरू होने में करीब 2 महीने का वक्त लग जाता है. इस बार यह ज्यादा समय के लिए किया गया था, जो कि काफी अलग है.

Advertisement

भारतीय कंपनियों के लिए फायदेमंद

चंद्रशेखर ने कहा कि इंडियन आईटी कंपनियों के बेहतर संचालन के लिए इस प्रोसेसिंग का शुरू होना फायदेमंद रहेगा. उन्होंने ये भी बताया कि वीजा एप्लिकेशन काफी कम हो गई हैं. इसकी वजह वीजा और उससे जुड़ी चिंताएं हैं. इसमें एप्ल‍िकेशन ग्रांट होने में लंबा समय लगना, एप्लिकेशन को लेकर सख्ती बढ़ना, बिजनेस मॉडल में बदलाव और स्थानीय स्तर पर हायरिंग बढ़ने समेत कई कारण हैं.  

घटी हैं वीजा पेटीशन

नैसकॉम वाइस प्रेसिडेंट (ग्लोबल ट्रे डेवलपमेंट्स) शिवेंद्र सिंह ने कहा कि शीर्ष 7 भारतीय कंपनियों को ग्रांट किए गए पेटीशन की संख्या में कमी आई है. 2014 में जहां यह संख्या 18 हजार थी. वह 2016 में घटकर 10 हजार पर पहुंच गए हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement