
वित्त वर्ष 2018-19 में खेती, व्यापार, ट्रांसपोर्ट आदि में सुस्ती की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि अपेक्षा के अनुरूप नहीं हुई. संसद में गुरुवार को पेश आर्थिक सर्वे में यह जानकारी दी गई है. गौरतलब है कि आर्थिक सर्वे के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 में जीडीपी में ग्रोथ रेट 6.8 फीसदी रही, जबकि सरकार ने पहले जीडीपी में 7.5 फीसदी तक बढ़त करने का लक्ष्य रखा था. इकोनॉमिक सर्वे में यह कहा भी गया है कि अगर 2025 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनानी है तो जीडीपी में ग्रोथ रेट लगातार कम से कम 8 फीसदी तक बनाए रखनी होगी.
हालांकि इकोनॉमिक सर्वे में अनुमान जाहिर किया गया है कि वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ रेट 7 फीसदी रह सकती है. संसद में गुरुवार को पेश आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि भारत अब भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है. पिछले वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ में कमी की मुख्य वजह कृषि, व्यापार, निर्यात, ट्रांसपोर्ट और संचार के क्षेत्र में वृद्धि का कम होना है. स्थिर वृहद आर्थिक दशाओं की वजह से इस साल अर्थव्यवस्था में स्थिरता रहेगी और ग्रोथ रफ्तार पकड़ेगा.
सर्वे के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 में देश में फिक्स्ड इनवेस्टमेंट में 10 फीसदी की बढ़त हुई है. यह तीन साल से लगातार बढ़ रहा है. इसके पहले साल में 2016-17 में 8.3 फीसदी और साल में 2017-18 में 9.3 फीसदी की बढ़त हुई थी. सर्वे के अनुसार पिछले पांच साल में जीडीपी ग्रोथ औसतन 7.5 फीसदी रहा है.
निर्यात पर काले बादल
आर्थिक सर्वे में यह स्वीकार किया गया कि अगर कुछ सक्रिय उपाय नहीं किए गए तो इस वित्त वर्ष 2019-20 में भी निर्यात की रफ्तार तेज नहीं हो पाएगी. गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों से निर्यात में बढ़त की रफ्तार धूमिल पड़ गई है.
खेती की हालत ठीक नहीं
खेती के मामले में एक चिंताजनक बिंदु उठाते हुए इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि खाद्य वस्तुओं के दाम कम होने की वजह से शायद किसानों ने वित्त वर्ष 2018-19 में पैदावार कम किया है. हालांकि, यह भी कहा गया है कि साल 2018 की दूसरी छमाही से ही ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में बढ़त आनी शुरू हो गई है. सर्वे के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 में खाद्यान्न का उत्पादन 28.34 करोड़ टन होने का अनुमान है. कृषि, वानिकी और मत्स्यपालन सेक्टर में ग्रोथ रेट महज 2.9 फीसदी रहने का अनुमान है.