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कर्मचारी भविष्य निधि यानी पीएफ पर मिलने वाले ब्याज दर में 0.1 प्रतिशत का इजाफा किया गया है. अब कर्मचारियों को उनके पीएफ पर 8.8 प्रतिशत ब्याज दर दिया जाएगा. पहले यह 8.7 प्रतिशत था.
विरोध की धमकी के बाद पलटी सरकार
सरकार ने श्रमिक संगठनों के विरोध की धमकी के बाद यह फैसला लिया है. इससे पहले सोमवार को केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) पर वर्ष 2015-16 के लिए पीएफ पर ब्याज दर 8.75 से घटाकर 8.70 करने पर मुहर लगा दी थी. aajtak.in ने सबसे पहले इसकी जानकारी दी थी.
कर्मचारी संगठनों ने किया था प्रदर्शन का ऐलान
सीबीटी के कर्मचारी संगठनों ने श्रम मंत्रालय से इसपर पुनर्विचार के लिए वित्त मंत्रालय से सिफारिश करने की अपील की है. संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ 27 अप्रैल से प्रदर्शन करने की बात कही है. भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के राष्ट्रीय सचिव और सीबीटी के सदस्य वृजेश उपाध्याय ने कहा कि ईपीएफ का पैसा सरकार का नहीं बल्कि कर्मचारी का होता है.
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मान ली श्रम मंत्रालय की सिफारिश
बता दें कि श्रम मंत्रालय की ओर से पीएफ पर मिलने वाले ब्याज दर को बढ़ाकर 8.80 फीसदी किए जाने की सिफारिश की गई थी, जिसे वित्त मंत्रालय ने पहले नहीं स्वीकार किया लेकिन अब सरकार ने यह सिफारिश मान ली है.
ईपीएफओ ने की थी 8.80 फीसदी ब्याज दर की सिफारिश
इससे पहले श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने 16 फरवरी को चेन्नई में ईपीएफ के केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड (सीबीटी) की 211वीं बैठक के बाद कहा था कि हम कामगारों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध हैं इसीलिए इस बार हमने कर्मचारियों को 8.80 फीसदी ब्याज देने का निर्णय लिया है. हालांकि ईपीएफओ 8.95 फीसदी ब्याज देने की स्थिति में था और इसके बाद भी ईपीएफओ के खाते में 91 करोड़ रुपये सरप्लस बच जाते. लेकिन ट्रस्टी बोर्ड की बैठक में 8.80 फीसदी ब्याज देने का निर्णय लिया गया था जिसका विरोध उस समय ट्रस्टी के सदस्यों ने भी किया था. ट्रस्टी बोर्ड के सदस्यों ने ईपीएफ को हुई आमदनी के अनुसार 8.95 फीसदी ब्याज दिए जाने की मांग की थी लेकिन बोर्ड में इस पर सहमति नहीं बन सकी.