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छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ इक्विलिब्रियम की स्थिति, अब होगा सफाया

राज्य में क्या विकास को आगे बढ़ाने से नक्सल पर लगाम लगा है. रिटायर्ड ब्रिगेडियर पोनवार ने कहा कि राज्य में पुलिस और केन्द्रीय सुरक्षा बलों ने राज्य को ऐसे वक्त में नक्साल से इजात दिलाई है जब राज्य को विकास करना था.

नक्सलवाद के खिलाफ इक्विलिब्रियम की स्थिति नक्सलवाद के खिलाफ इक्विलिब्रियम की स्थिति
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 29 जून 2018,
  • अपडेटेड 10:02 PM IST

राज्य में क्या विकास को आगे बढ़ाने से नक्सल पर लगाम लगा है. रिटायर्ड ब्रिगेडियर पोनवार ने कहा कि राज्य में पुलिस और केन्द्रीय सुरक्षा बलों ने राज्य को ऐसे वक्त में नक्साल से इजात दिलाई है जब राज्य को विकास करना था. राज्य में पुलिस का अच्छा काम है. लेकिन राज्य में 2022 तक नक्सलवाद को खत्म करने के मुख्यमंत्री के वादे पर बोलते हुए कहा सरकार ने बीते ढाई साल में जिस दिशा में काम किया जा रहा है यदि अगले कुछ साल और इस दिशा में बढ़ा जाए तो वादे के मुताबिक राज्य से नक्सलवाद को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है. हालांकि कुछ जानकारों ने यह दावा भी किया है कि राज्य में इक्विलिब्रियम की स्थिति बन चुकी है.

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इसके बावजूद राज्य में नैशनल हाईवे का काम पूरा नहीं हो पा रहा है. लेकिन संजय अरोरा ने बताया कि राजमार्ग का काम लगातार चल रहा है. इसके साथ ही सुरक्षा एजेंसियां अपना काम कर रही हैं. ऐसे में सुरक्षा एजेंसी पर यहा राजमार्ग के काम में लगे लोगों को भी सुरक्षा देने की है. लिहाजा, मौजूदा स्थिति में जितना मुमकिन है उतनी रफ्तार के साथ काम किया जा रहा है. हालांकि रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सुनील कुमार ने माना कि राज्य के कुछ इलाकों में स्थिति बेहतर नहीं है.

चौधरी ने कहा कि बस्तर में एतिहासिक रूप से बीते 1000 और 2000 साल में देखें मुख्यधारा से दूर रहने की प्रवृत्ति रही है. लिहाजा सरकार को आदिवासियों को मुख्यधारा में लाने की जरूरत है. क्या नक्सली को ताकत से समझाया जाएगा या फिर समझाबुझा कर? इस सवाल पर रायपुर के स्पेशल डीजी डीएम अवस्थी ने कहा कि नक्सलियों की मौजूदा योजना है कि 2065 तक वह नई दिल्ली पर कब्जा कर लेंगे. इससे पहले उनकी योजना 1967 तक दिल्ली पर कब्जा करना की थी. ऐसी परिस्थिति में राज्य की स्थिति का आंकलन किया जा सकता है. समय के साथ चुनौतियां बदलने के साथ-साथ जटिल होती जाती है. इनका समाधान एक झटके से नहीं किया जा सकता है. चुनौतियों के मुताबिक उनकों खत्म करने का माध्यम और रफ्तार तय किया जाता है.

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अवस्थी ने कहा कि गांव में किसी से पूछो कि नक्सली की मदद क्यों करते हैं. तो उनका जवाब गांव वाले कहते हैं कि यदि वे पुलिस की बात नहीं मानते तो उन्हें 6 महीने जेल जाना पड़ता है लेकिन नक्सलियों का बात नहीं मानने पर वह उन्हें 6 इंच छोटा कर देता है.

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