
करदाताओं की यह आम शिकायत रहती है कि उन्हें इनकम टैक्स विभाग के अफसरों के उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. मोदी सरकार ने लोगों को इससे राहत देने के लिए फेसलेस टैक्स असेसमेंट का नया सिस्टम शुरू किया है. आइए जानते हैं कि यह क्या है और इससे करदाताओं को किस तरह से राहत मिलेगी.
अक्सर किसी के आयकर रिटर्न में अगर थोड़ी भी गड़बड़ हो जाती है तो उसे आयकर विभाग के दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ते हैं. इसी तरह जिन लोगों के आयकर के मामले में किसी तरह का विवाद होता है, वह भी परेशान हो जाते हैं. यह सिस्टम आयकर के विवादित या स्क्रूटनी वाले उन मसलों के लिए है जहां लोगों को आयकर विभाग के दफ्तर और अधिकारियों के पास बार-बार चक्कर लगाना होता था.
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हो गई शुरुआत
सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2017 में यह कहा था कि टैक्स असेसमेंट इस तरह से होना चाहिए कि लोगों का अधिकारियों से सीधा संपर्क न हो और इसमें किसी एक अफसर की न चले. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए वित्त मंत्री ने 5 जुलाई, 2019 के अपने बजट भाषण में इसका ऐलान किया और 7 अक्टूबर 2019 को इसकी शुरुआत हो गई.
इनकम टैक्स विभाग ने कुल 58,319 केस को ऑटोमेटेड तरीके से असाइन किया. इसे रैंडम तरीके से कंप्यूटर अल्गोरिद्म के आधार पर किसी एक अधिकार क्षेत्र तक सीमित नहीं रखा गया. इनमें से अब तक 7,116 केस का निस्तारण हो गया है और असेसमेंट ऑर्डर जारी कर दिया गया है. 291 केस को रिस्क मैनेजमेंट यूनिट को दे दिया गया है.
क्या होगा करदाता को फायदा
इसके पहले स्क्रूटनी वाले मामलों में असेसमेंट प्रक्रिया के दौरान करदाता को कई बार टैक्स अधिकारियों का चक्कर लगाना पड़ता था. यह एक तरह से भ्रष्टाचार की वजह बनता था और खासकर ज्यादा रकम वाले मामलों में ऐसे आरोप लगते थे. लेन-देन के जरिए मामले निपटाने की कोशिश हो सकती थी. लेकिन फेसलेस असेसमेंट यह रास्ता बंद हो जाएगा.
फेसलेस असेसमेंट इलेक्ट्रॉनिक मोड में होता है. इनमें टैक्सपेयर किसी टैक्स अधिकारी के आमने-सामने होने की या किसी इनकम टैक्स ऑफिस जाने की जरूरत नहीं होती. उन्हें इनकम टैक्स स्क्रूटनी असेसमेंट नोटिस के लिए भागदौड़ करने की भी जरूरत नहीं होती और न ही किसी टैक्स प्रोफेशनल या एकाउंटेंट के पास जाने की. वह अपने घर बैठे बिना किसी टैक्स अधिकारी से मिले इनकम टैक्स पोर्टल पर ई-फाइल असेसमेंट रिप्लाई कर सकता है.
इसके बाद टैक्सपेयर्स को उनके रजिस्टर्ड ई-फाइलिंग एकाउंट या ई-मेल आईडी पर नोटिस या अपडेट मिलता रहता है. आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक अब टैक्सपेयर्स के साथ होने वाले सभी संवाद दिल्ली के एक सेंट्रल सेल के द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जाएगा और टैक्सपेयर्स को भी यह पता नहीं चल पाएगा कि उनके असेसिंग ऑफिसर कौन हैं.
फेसलेस असेसमेंट के तहत इनकम टैक्स विभाग ने रिस्क मैनेजमेंट के लिए अत्याधुनिक डिजिटल टेक्नोलॉजी तैयार की है. इनमें ऑटोमेटेड एग्जामिनेशन टूल, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग शामिल है, जिसमें इनकम टैक्स विभाग से किसी तरह का मानवीय दखल नहीं होता या कम दखल होता है.
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इससे टीम आधारित असेसमेंट आसान हुआ है जिसमें किसी शहर या क्षेत्राधिकार की कोई सीमा नहीं होती. इसकी वजह से पारदर्शिता बढ़ती है, कार्यक्षमता बढ़ती है और मानक प्रक्रिया का पालन होता है.
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, अब करीब 99 फीसदी रिटर्न इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ही होते हैं. हर साल करीब 6 करोड़ रिटर्न फाइल होते हैं, जिनमें से करीब 3 लाख ही रिस्क पैरामीटर के आधार पर स्क्रूटनी के लायक होते हैं. इनका चुनाव कंप्यूटर आधारित सेलेक्शन प्रक्रिया से केंद्रीय स्तर पर होता है. पुराने आकलन वाले केस भी खोले जा सकते हैं यदि इसमें कुछ आय छिपा लेने का संदेह होता है.
कैसे करेगा काम
नेशनल ई असेसमेंट सेंटर (National e-Assessment Center) एक सिंगल एजेंसी होगी जो करदाता (taxpayer) से संपर्क रखने में नोडल एजेंसी के तौर पर काम करेगी.
इस योजना का मुख्यालय नेशनल ई असेसमेंट सेंटर (NeAC) दिल्ली के साकेत में होगा. मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई, पुणे, अहमदाबाद और बेंगलुरु में रीजनल सेंटर होंगे.
—सबसे पहले नेशनल ई असेसमेंट सेंटर नोटिस जारी करेगा
—यह एसेसी को मिलेगा और वह 15 दिन के भीतर अपना जवाब देगा
—यह जवाब ई-असेसमेंट सेंटर तक पहुंचेगा
—वह किसी भी आयकर दफ्तर को यह केस असाइन करेगा इस तरह से यह किसी असेसमेंट यूनिट यानी रीजनल इलेक्ट्रॉनिक असेसमेंट सेंटर आरईएसी तक पहुंच जाएगा
—यह एनईएसी से कहेगा कि वह एसेसी, वेरिफिकेशन यूनिट और टेक्निकल यूनिट के साथ संवाद करे
—एनईएसी इन सबके साथ संवाद करेगा
—ये सब यूनिट जानकारी एनईएसी के पास भेजेंगे
—एनईएसी इन सब जानकारियों को इकट्ठा कर आरईएसी को भेजेगा
—सभी जानकारियों की जांच के बाद आरईएसी एक ड्राफ्ट असेसमेंट ऑर्डर तैयार करेगा
—इसे अब एनईएसी को भेजा जाएगा
—इसके बाद तमाम यूनिट की जांच और एसेसीज को अपनी बात रखने का मौका देने के बाद एनईएसी इसे फाइन ऑर्डर तैयार करेगा, जिसकी कॉपी एसेसीज और संबंधित क्षेत्र के एओ को भेजा जाएगा.
—यह पूरी प्रक्रिया इलेक्ट्रॉनिक तरीके से चलती है, इसलिए इसमें समय भी बहुत कम लगता है