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सरकारी बैंकों के 74% ATM में फ्रॉड का जोखिम, रिजर्व बैंक ने दी सख्त हिदायत

गत जून महीने में रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को चेतावनी दी है कि वे जून 2019 तक अपने सभी एटीएम अपग्रेड कर लें, नहीं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. 

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 12:31 PM IST

सार्वजनिक बैंकों के करीब 74 फीसदी ऑटोमेटेड टेलर मशीनों (ATM) में आउटडेटेड सॉफ्टवेयर हैं, जिनकी वजह से ये आसानी से फ्रॉड का शिकार हो सकते हैं. पिछले हफ्ते संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब मिलने पर यह खुलासा हुआ है.

फिलहाल भारत में 2 लाख से ज्यादा एटीएम हैं और इनमें से करीब 70 फीसदी अब भी विंडोज एक्सपी सॉफ्टवेयर से चल रहे हैं. इस सॉफ्टवेयर को खुद माइक्रोसॉफ्ट ने साल 2014 से सपोर्ट करना बंद कर दिया है.

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असल में गत जून महीने में रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को चेतावनी भी दी है कि वे जून 2019 तक अपने सभी एटीएम अपग्रेड कर लें, नहीं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. 

बैंकों से कहा गया था कि वे चरणबद्ध तरीके से जून 2019 तक ऑपरेटिंग सिस्टम का वर्जन अपग्रेड करें और इस साल अगस्त तक ही अन्य सभी सुरक्षा उपाय करें.

पिछले साल अप्रैल महीने में ही रिजर्व बैंक ने बैंकों को एक गोपनीय सर्कुलर भेजकर उन समस्याओं के बारे में बताया था, जो एटीएम में विंडोज एक्सपी या अन्य बिना सपोर्ट वाले ऑपरेटिंग सिस्टम के इस्तेमाल से हो सकती हैं. रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों और अन्य एटीएम ऑपरेटर को भेजे सर्कुलर में कहा था, 'बैंकों द्वारा इस मामले में बरती जा रही ढिलाई को गंभीरता से लिया जा रहा है.'

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रिजर्व बैंक ने कहा कि इस तरह की लापरवाही से बैंकों के ग्राहकों के हितों पर चोट पहुंच सकती है. बैंकों और अन्य एटीएम ऑपरेटर्स से कहा गया है कि वे बेसिक इनपुटआउटपुट सिस्टम (BIOS) पासवर्ड, यूएसबी पोर्ट्स को डिसएबल करने, ऑटो रन सुविधा को डिसएबल करने, नवीनतम सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करने, टर्मिनल सुरक्षा समाधान और टाइम बेस्ड एडमिन एक्सेस जैसे सुरक्षा उपाय अगस्त तक कर लें.

(www.businesstoday.in से साभार)

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