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सरकार ने कहा- मिनिमम बैलेंस के फैसले पर दोबारा विचार करें बैंक

मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार, 2014 में भी इस प्रकार का प्रस्ताव आया था, लेकिन उसे लागू नहीं किया गया था. हालांकि उन्होंने ब्रांच और एटीएम से ट्रांजेक्शन सीमित करने का समर्थन किया है. उनकी तरफ से कहा गया है कि महीने में 7-8 बार पैसे निकालने की जरुरत नहीं होती है.

सरकार ने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा सरकार ने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा
संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 07 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 10:01 AM IST

हाल ही में कुछ बैंकों के द्वारा बैंक खातों में मिनिमेम बैंलेस ना रखने पर जुर्माना लगाने की बात कही है, अब वित्त मंत्रालय ने आरबीआई और बैंकों को सलाह दी है कि बैंक मिनिमम बैंक बैलेंस की सीमा बढ़ाने के अपने फैसले पर विचार करें.

मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार, 2014 में भी इस प्रकार का प्रस्ताव आया था, लेकिन उसे लागू नहीं किया गया था. हालांकि उन्होंने ब्रांच और एटीएम से ट्रांजेक्शन सीमित करने का समर्थन किया है. उनकी तरफ से कहा गया है कि महीने में 7-8 बार पैसे निकालने की जरुरत नहीं होती है.

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रिजर्व बैंक नहीं देता सलाह
इस मुद्दे पर रिजर्व बैंक अधिकारियों का कहना है कि न्यूनतम बैलेंस और अन्य शुल्क को लेकर रिजर्व बैंक सभी बैंकों को कोई सलाह नहीं देता है. रिजर्व बैंक सिर्फ सरचार्ज को पारदर्शी रखने की सलाह देता है.

गौरतलब है कि हाल ही में एसबीआई ने अपने नियमों में बदलाव करते हुए कहा था कि एसबीआई के नए नियमों के अनुसार सेविंग अकाउंट्स में तीन बार कैश जमा कराना निशुल्क रहेगा. लेकिन इसके बाद हर कैश ट्राजैक्शन पर 50 रुपये का चार्ज और सर्विस चार्ज देना होगा. वहीं करंट अकाउंट के मामले में यह चार्ज अधिकतम 20,000 रुपये भी हो सकता है.

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