
साल 2016 में पार्थसारथी शोम की अध्यक्षता वाले टैक्स प्रशासन सुधार आयोग (TARC) ने सरकार को एक प्रस्ताव दिया था. इस प्रस्ताव के तहत सीबीडीटी और सीबीआईसी के विलय की सलाह दी गई थी. बीते कुछ समय से ये चर्चा थी कि सरकार आयोग की सिफारिश पर विचार कर रही है.
वित्त मंत्रालय ने दिया बयान
हालांकि, अब वित्त मंत्रालय ने बयान दिया है कि सीबीडीटी और सीबीआईसी के विलय का कोई इरादा नहीं है. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘सरकार के पास ‘सेंट्रल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू एक्ट, 1963 के तहत गठित दोनों बोर्ड के विलय का कोई प्रस्ताव नहीं है.’’ मंत्रालय के अनुसार TARC की रिपोर्ट पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया लेकिन विलय की सिफारिश को सरकार ने स्वीकार नहीं किया.
संसद में भी सरकार ने दिया था भरोसा
वित्त मंत्रालय के बयान के मुताबिक, संसद में पूछे गये सवाल के जवाब में भी सरकार ने इस बारे में आश्वस्त किया था. इस तथ्य को 2018 में सरकारी आश्वासन समिति के समक्ष रखा गया था. TARC की सिफारिशों पर कार्रवाई रिपोर्ट राजस्व विभाग की वेबसाइट पर है और उसमें साफ तौर पर कहा गया है कि इस सिफारिश को स्वीकार नहीं किया गया है.
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क्यों हुआ था TARC का गठन?
दरअसल, TARC का गठन टैक्स नीतियों और कानून के उपयोग की समीक्षा करने के अलावा इनकम टैक्स प्रशासन में जरूरी सुधारों के बारे में सिफारिश देने के लिये किया गया था. आयोग ने 385 सिफारिशें दी थी. इसमें से 291 सीबीडीटी से और 253 सीबीअईसी से संबंधित थी. आपको बता दें कि सीबीडीटी और सीबीआईसी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष टैक्स नीति बनाने वाले निकाय हैं.