
सरकार ने चीन जैसे दूसरे देशों से बनकर आने वाले राष्ट्रीय ध्वज के आयात को प्रतिबंधित कर दिया है. विदेश व्यापार महानिदेशालय की तरफ से जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि फ्लैग कोड ऑफ इंडिया में तय मानकों का पालन नहीं करने के कारण राष्ट्रीय ध्वज का आयात नहीं किया जा सकेगा.
गौरतलब है कि तय मानकों का पालन नहीं करने वाले तिरंगे का आयात काफी संख्या में हो रहा था. घरेलू उद्योग की तरफ से इसके खिलाफ शिकायत मिलने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है. ऐसे अधिकांश झंडे प्लास्टिक से बने होते हैं और ज्यादातर चीन से आयातित होते हैं.
क्या है आपत्ति
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक खादी एवं ग्रामोद्योग उद्योग ने (KVIC) ने सरकार के इस निर्णय को खादी से जुड़े लाखों शिल्पकारों के लिए दिवाली गिफ्ट बताया है. KVIC का कहना है कि फ्लैग कोड के मुताबिक हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को केवल हाथ से काते गए और बनाए गए ऊन, कॉटन, सिल्क खादी से ही बनाया जा सकता है. यही नहीं, राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए खादी ग्रामोद्योग कमीशन से स्वीकृत कपड़े का ही इस्तेमाल किया जा सकता है.
खादी के झंडों की बिक्री घटी
देश में बड़े पैमाने पर ऐसे राष्ट्रीय ध्वज बिक रहे हैं जो या तो प्लास्टिक के बने होते हैं या फिर गैर खादी कपड़े के. इनसे खादी ग्रामोद्योग कमीशन की बिक्री भी प्रभावित हो रही थी. KVIC ने गौर किया कि पिछले दो साल से उसके द्वारा बनाए गए राष्ट्रीय ध्वज की बिक्री में गिरावट आ रही है.
वित्त वर्ष 2017-18 में खादी ग्रामोद्योग कमीशन ने 3.69 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय ध्वज की बिक्री की थी, लेकिन 2018-19 में यह बिक्री 14 फीसद घटकर 3.16 करोड़ रुपये रह गई. चालू वित्त वर्ष में अभी तक इसकी बिक्री सिर्फ 1.94 करोड़ रुपये की हुई है.
KVIC के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने एक लेटर लिखकर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से झंडों की बिक्री में गिरावट की जानकारी दी थी. इस लेटर में सक्सेना ने कहा था कि आयातित राष्ट्रीय ध्वज ज्यादातर प्लास्टिक से बने होते हैं, जो भारत के फ्लैग कोड का उल्लंघन करते हैं. KVIC ने ऐसे झंडों के आयात पर रोक लगाने की मांग की थी.