
आने वाले दिनों में पान-मसाला महंगा हो सकता है. दरअसल, सरकार पान-मसाला पर सेस बढ़ाने के मूड में है. इसके संकेत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिए हैं. वित्त मंत्री ने बताया कि जीएसटी काउंसिल अपनी अगली बैठक में पान मसाला के अलावा विनिर्माण के स्तर पर ईंट पर अतिरिक्त सेस वसूलने के बारे में चर्चा कर सकती है.
अभी पान-मसाला पर 28 फीसदी की दर से जीएसटी और 60 फीसदी की दर से सेस लगता है. वहीं ईंटों की बात करें तो इस पर पांच से 18 प्रतिशत तक की दर से जीएसटी लगता है. ईंट के प्रकार के हिसाब से जीएसटी की दर तय होता है. उदाहरण के लिए भवनों में लगने वाली ईंटों के अलावा मिट्टी आदि से बनने वाली ईटों पर पांच फीसदी जीएसटी लगता है.
जुलाई में काउंसिल की विशेष बैठक
इस बीच, जुलाई में जीएसटी काउंसिल की एक विशेष बैठक होने वाली है. इस बैठक में चर्चा का केवल एक मुद्दा- राज्यों की क्षतिपूर्ति जरूरतों का होगा. बता दें कि बीते शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक हुई. इस बैठक में छोटे कारोबारियों को राहत देने वाले कई अहम फैसले लिए गए. अब 5 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले छोटे कारोबारी रिटर्न दाखिल करने में देरी पर लगने वाला ब्याज आधा देंगे. अब इसकी दर नौ फीसदी रहेगी. ये नियम फरवरी, मार्च और अप्रैल के रिटर्न दाखिल करने के लिए लागू है. ब्याज पर छूट का लाभ तभी मिलेगा जब सितंबर 2020 तक रिटर्न दाखिल कर दिये जाएंगे.
इसके अलावा, मई, जून और जुलाई के लिए रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा को भी सितंबर तक बढ़ा दिया गया है. इसके लिए कोई ब्याज या विलंब शुल्क नहीं लगेगा. इसी तरह, जुलाई 2017 से जनवरी 2020 के दौरान शून्य टैक्स देनदारी वाले पंजीकृत इकाइयों को जीएसटी रिटर्न देर से दाखिल करने पर कोई शुल्क नहीं देना होगा. अन्य इकाइयों की बात करें तो जुलाई 2017 से जनवरी 2020 तक की अवधि के लिए मासिक बिक्री रिटर्न दाखिल करने में देरी पर अधिकतम 500 रुपये शुल्क देना होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक लॉकडाउन के दो महीने के दौरान राजस्व संग्रह महज 45 प्रतिशत के दायरे में रहा है.
पराठा पर सरकार की सफाई
इस बीच, सरकार की ओर से पराठे पर लगने वाले जीएसटी को लेकर सफाई आई है. सरकार के मुताबिक रेस्टोरेंट द्वारा परोसा गए साधारण पराठे पर रोटी की तरह 5 फीसदी जीएसटी ही लागू होगा. 18 फीसदी जीएसटी फ्रोजन पराठों पर लागू होगी जिन्हें प्रीजर्व यानी संरक्षित करके रखा गया है. यह उन पराठों पर लागू होगा जिन्हें पैक और सील करके रखा गया है, न कि ताजे बनाए गए पराठे पर लागू किया जाएगा.
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दरअसल, कर्नाटक में जीएसटी के एक आदेश को लेकर सोशल मीडिया में खूब मजे लिए जा रहे हैं. इस आदेश में कहा गया है कि रोटी और पराठा में अंतर है, इसलिए रोटी पर तो 5 फीसदी ही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगेगा, लेकिन पराठे पर यह 18 फीसदी की दर से लगेगा. इस पर विवाद बढ़ने के बाद सरकार ने सफाई दी है.