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देश का सबसे बड़ा कर सुधार बताया जा रहा जीएसटी शुक्रवार रात 12 बजे लॉन्च होगा. संसद भवन में इसके लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में राजनीति के कई दिग्गज एक साथ जुटेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, समेत देश की नामचीन हस्तियां इस पल की गवाह बनेंगी.
वहीं विपक्ष इस समारोह से दूर रहेगा, वहीं जीएसटी पर पीएम मोदी का समर्थन करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे. उनकी तरफ से बिहार सरकार में मंत्री विजेंद्र यादव शामिल होंगे. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार को कई कार्यक्रम में शामिल होना है.
कांग्रेस ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि पीएम मोदी को समझना होगा कि जीएसटी को लॉन्च करने और उसे लागू करने में काफी अंतर है.
पढ़ें आखिर कौन-कौन बनेगा ऐतिहासिक पल का गवाह...
ये होंगे मुख्य अतिथि -
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा, पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह
ये भी होंगे शामिल -
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह, संसद के दोनों सदनों के सदस्य, सुप्रीम कोर्ट के जज, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे.
कई अन्य हस्तियां भी शामिल -
राजनीतिक हस्तियों के अलावा इस कार्यक्रम में कई अन्य हस्तियां भी शामिल होंगी. जीएसटी के ब्रांड एंबेसडर अमिताभ बच्चन, स्वर कोकिला लता मंगेशकर, रतन टाटा, हरीश साल्वे, सोली सोराबजी, समेत कई अन्य लोग इस ऐतिहासिक पल के गवाह बनेंगे.
नहीं दिखेगा विपक्ष
हालांकि कांग्रेस, वामपंथी दल, टीएमसी समेत कई विपक्षी पार्टियां इस कार्यक्रम से दूरी बनाएंगी. इन पार्टियों ने कार्यक्रम का बहिष्कार करने का फैसला लिया है. आम आदमी पार्टी भी संसद के इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होगी. AAP की ओर से कहा गया है कि उन्हें इसके लागू होने और टैक्स स्ट्रक्चर पर दिक्कत है.
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नायडू ने कांग्रेस को लताड़ा
केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू ने जीएसटी की शुरुआत के लिए संसद में बुलाए गए मध्यरात्रि सत्र का बहिष्कार करने के कांग्रेस के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि वह अपने इस फैसले पर आज नहीं तो कल पछताएगी. मुझे इसका कारण समझ में नहीं आता, मुझे लगता है कि इसका एकमात्र कारण यह हो सकता है कि देश इस ऐतिहासिक, क्रांतिकारी कराधान सुधार के लिए उन्हें श्रेय नहीं दे रहा है.