
इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने अपने सभी सदस्यों को चेतावनी दी है कि वो किसी भी मंच पर नोटबंदी के खिलाफ नकारात्मक बात न करें. इंस्टिट्यूट की तरफ से जारी सर्कुलर में अपने सदस्यों से कहा गया है कि केंद्र सरकार की तरफ से 500 और 1,000 रुपये के नोट बंद किए जाने की आलोचना न की जाए.
सर्कुलर में लिखा है, 'ये फैसला किया गया है कि सदस्यों को एक एडवाइजरी जारी कर आगाह किया जाए कि वो अपने क्लाइंट्स को सलाह देते वक्त देश के हित को ध्यान में रखें.' सदस्यों से ये भी कहा है कि नोटबंदी को लेकर सरकार की मंशा पर भी सवाल न उठाए जाएं. इसके अलावा उन्हें किसी भी लेख या इंटर्व्यू में नोटबंदी पर अपने निजी नकारात्मक राय न देने देने की सलाह दी गई है.
किसी भी मंच पर न दें नकारात्मक राय
आईसीएआई ने सर्कुलर में एक बार फिर कहा, 'सभी सदस्यों को एक बार फिर सलाह दी जाती है कि वो अपने क्लाइंट्स को सुझाव देते वक्त, किसी भी मंच पर नोटबंदी को लेकर अपनी राय देते या लिखते वक्त बेहद सजग और सावधान रहें और आईसीएआई (राष्ट्र के निर्माण में भागीदार) के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए देश के हित में काम करें.'
नोटबंदी के बाद से कैश का सूखा
आपको बता दें कि 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक 500 और 1,000 के पुराने नोट बंद करने की घोषणा कर पूरे देश को हैरानी में डाल दिया था. नोटबंदी के ऐलान के बाद से बैंकों और एटीएम के बाहर लोगों की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई थी. सरकार और आरबीआई की तरफ से लगातार मिल रहे भरोसे के बावजूद कैश को लेकर लोगों को अब भी राहत नहीं मिली है.