
शेयर और फॉरेन एक्सचेंज मार्केट्स में निवेशकों की बेचैनी को शांत करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था की अंतर्निहित शक्ति पर भरोसा करने की सलाह दी हैं जेटली ने कहा कि इस समय जो गिरावट दिख रही है वह मुख्यत: वैश्विक कारकों की वजह से है और इसको लेकर 'ज्यादा घबराने' की जरूरत नहीं है.
वित्त मंत्री ने भरोसा दिया कि सरकार आर्थिक वृद्धि में मदद के लिए आवश्यक उपाय करने को प्रतिबद्ध है तथा सरकारी क्षेत्र के बैंकों को पुराने कर्ज की वसूली के लिए जल्दी ही और अधिकार संपन्न बनाने को कदम उठाए जाएंगे. वित्त मंत्री ने कहा कि वैश्विक नरमी जरूर है पर सरकार आर्थिक वृद्धि में सहायक नीतियां जारी रखेगी.
गौरतलब है कि बंबई शेयर बाजार का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स गुरुवार को 807.7 अंक गिर गया था. शुक्रवार को सेंसेक्स 34 अंक सुधर कर बंद हुआ. रुपया भी गुरुवार को 45 पैसे गिरकर 68.30 रुपये प्रति डॉलर हो गया था, लेकिन शुक्रवार को इसमें कुछ सुधार हुआ.
जेटली ने ताजा गिरावट के बारे में कहा कि बड़े वैश्विक बाजारों में भारी बिक्री का जो सिलसिला शुरू हुआ है उसका भारत पर भी असर पड़ा. उन्होंने कहा कि, 'इसके कई कारण हो सकते हैं, जो भारत से बाहर के हैं.' शेयर बाजारों में भारी गिरावट के एक दिन बाद शुक्रवार को वित्त मंत्रालय में संवाददाताओं से बातचीत में जेटली ने कहा कि अमेरिकी फेंडरल बैंक की ब्याज दर, यूरोप के घटनाक्रम और अमेरिका में नरमी की आशंका जैसे कारकों को लेकर मची वैश्विक उठापटक के लपेटे में भारत भी आ गया है.
जेटली ने कहा, 'इस समय बाजार की प्रतिक्रिया में निवेश करते समय भारतीय बाजार की अंतर्निहित शक्ति को ध्यान में रखना समझदारी होगी.' उन्होंने कहा कि निवेशकों को वैश्विक घटनाओं को लेकर बहुत ज्यादा प्रतिक्रिया दिखाना ठीक नहीं होगा. जेटली ने कहा, 'यह देखते हुए भारत में ज्यादा घबराने की कोई जरूरत नहीं है कि देश ने वैश्विक नरमी के इस दौर में भी 7.5 प्रतिशत से ऊपर की वृद्धि दर बरकरार रखी है.' उन्होंने कहा कि सरकार नई नीतियां बना रही है. सरकार को पता है कि अर्थव्यवस्था के लिए किन-किन क्षेत्रों को मदद की जरूरत है और वह मदद के लिए प्रतिबद्ध है.
जेटली ने कहा कि देश के सेवा और मैन्युफैक्चरिंग, दोनों क्षेत्रों की स्थिति सुधर रही है. उम्मीद है कि मॉनसून बेहतर होने पर इसमें और सुधार होगा तथा मांग में वृद्धि होगी. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में वृद्धि के मुद्दे पर जेटली ने कहा कि सरकार बैंकों को अधिकारसंपन्न बनाने के लिए जल्दी ही और कदम उठाएगी. उन्होंने कहा, 'दिवाला कानून पर सरगर्मी से विचार हो रहा है. सरकार कुछ और उपायों पर विचार कर रही है ताकि बैंकों को और अधिक अधिकार सम्पन्न बनाया जा सके ताकि वे अपना धन वसूलने में अधिक समर्थ हों.'
जेटली ने कहा, 'मुझे लगता है यह समस्या जल्दी ही नियंत्रण में आ जाएगी. इस समस्या को ऐसा बढ़ा-चढ़ाकर नहीं पेश किया जाना चाहिए कि लोगों में भय पैदा हो.' जेटली 29 फरवरी को 2016-17 का आम बजट पेश करने वाले हैं जो उनका दूसरा पूर्ण बजट होगा. एनपीए समस्या का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'यह ऋण है जो कि इन बैंकों ने किसी समय में दिया था और अब एक सोची समझी नीति के तहत यह माना जा रहा है कि बैंकों की बैलेंस शीट को पारदर्शी होनी चाहिए. बैंक कर्जदारों से कर्ज की वसूली के लिए सभी संभव कदम उठाने जा रहे हैं.'
उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने विभिन्न नीतियों के जरिए बैंकों को एनपीए की वसूली में सक्षम बनाया है. गौरतलब है कि सार्वजनिक बैंकों का सकल एनपीए सितंबर में बढ़कर 3.01 लाख करोड़ रुपये हो गया जो कि मार्च में 2.67 लाख करोड़ रुपये था.