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आर्थिक मोर्चे पर अमेरिका से ठनी, WTO जा सकता है भारत

अमेरिका ने भारत के GSP (जेनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस) की सुविधा को वापस ले लिया है. इस फैसले के बाद अब भारत विश्व व्यापार संगठन जा सकता है.

आर्थिक मोर्चे पर अमेरिका और भारत में तनाव बढ़ा आर्थिक मोर्चे पर अमेरिका और भारत में तनाव बढ़ा
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 07 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 11:15 AM IST

आर्थिक मोर्चे पर भारत और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. दरअसल,  बीते दिनों अमेरिका की ट्रंप सरकार ने भारत से GSP (जेनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस) की सुविधा छीन ली थी. अब भारत इस फैसले के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) जाने की तैयारी में है.न्‍यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक में भारत सरकार की ओर से WTO में चुनौती देने समेत विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है.

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एजेंसी सूत्रों ने कहा कि भारत सरकार अमेरिका के निर्णय से प्रभावित क्षेत्रों को वित्तीय समर्थन देने के अलावा अमेरिकी वस्तुओं पर जवाबी शुल्क लगाने के विकल्प भी अपना सकती है. हालांकि एक अन्य सूत्र का कहना है कि WTO में प्रक्रिया लंबी चल सकती है. ऐसे में बेहतर विकल्प यह है कि इस मुद्दे का समाधान द्विपक्षीय बातचीत से किया जाए क्योंकि अमेरिका के साथ व्यापार में भारत का निर्यात, आयात से अधिक है.

बता दें कि अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने मंगलवार को विकासशील देशों की मदद के लिए व्यापार में वरीयता देने की सामान्य व्यवस्था (GSP) कार्यक्रम के तहत भारत को रियायती आयात शुल्क का लाभ वापस लेने का फैसला किया था. लाभ हटाने का मतलब है के अमेरिका भारत के करीब 2,000 प्रोडक्‍ट पर हाई ड्यूटी लगाएगा जिससे कीमत के संदर्भ में ये अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धी नहीं रह जाएंगे.

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कितना होगा असर

वैसे तो सरकार की ओर से यह कहा गया है कि ट्रंप प्रशासन के इस फैसले का असर भारत के कारोबार पर नहीं पड़ेगा लेकिन आर्थिक मामलों के जानकारों की मानें तो 5.6 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित हो सकता है. इसका सबसे ज्‍यादा प्रभाव स्‍मॉल एंड मीडियम इंडस्‍ट्री पर पड़ने वाला है. इसके अलावा रोजगार के अवसर भी कम होने की आशंका है.

अमेरिका का व्‍यापार घाटा बढ़ा

इस बीच अमेरिका का व्‍यापार घाटा बढ़ता जा रहा है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार के मोर्च पर सख्ती के बावजूद पिछले साल के दौरान अमेरिका का व्‍यापार घाटा 10 साल की ऊंचाई पर पहुंच गया. यह 2018 में 12.5 फीसदी बढ़कर 621 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इस दौरान आयात और निर्यात दोनों में ही वृद्धि हुई और ये अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गए.

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