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दुनिया बदलाव के मुहाने पर, हर किसी को मिले बेसिक इनकम: जी स्टैंडिंग

India Today Conclave 2019 इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में जी. स्टैंडिंग ने कहा कि दुनिया की बहुत बड़ी आबादी है, जो मेहनत तो खूब करती है लेकिन उनका काम श्रम के दायरे में नहीं आता.

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2019 में Guy Standing  (Photo: India Today) इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2019 में Guy Standing (Photo: India Today)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 6:46 PM IST

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दूसरे दिन देश और दुनिया की कई बड़ी हस्तियों ने अहम मुद्दों पर बात की.  लंदन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और जानेमाने अर्थशास्त्री Guy Standing ने भी इस दौरान बेसिक इनकम पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि दुनिया के हर व्यक्ति को बेसिक इनकम मिलनी चाहिए, आप माने या नहीं लेकिन इससे ग्राउंड लेवल पर एक बड़ा अंतर पैदा होता है.

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दूसरे दिन के सेशन The Precariat The rise of a dangerous new class  में जी. स्टैंडिंग ने कहा कि दुनिया की बहुत बड़ी आबादी है, जो मेहनत तो खूब करती है लेकिन उनका काम श्रम के दायरे में नहीं आता. स्टैंडिंग का मानना है कि आंकड़ों और कामकाज का ये हिसाब गलत है. इसके कारण लोगों का बहुत सा काम, काम माना ही नहीं जाता, जबकि उन्हें उसके लिए खासी मेहनत मशक्कत करनी पड़ती है.

जी स्टैंडिंग ने कहा कि मेरे पुराने अर्थशास्त्री मित्र बिना रिसर्च पेपर पढ़े, पायलट प्रोजेक्ट को देखे बेसिक इनकम को खारिज  करते हैं. गुजरात में अपने प्रोजेक्ट का जिक्र करते हुए स्टैंडिंग ने कहा कि राज्य में 3000 से ज्यादा सरकारी योजनाएं है, इसमें कितना पैसा खर्च हो जाता है. फिर भी लोगों की स्थिति जस की तस है. इसलिए मेरा मानना है कि हमें कुछ अलग और नया सोचना होगा.

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उन्होंने कहा कि दुनिया इस समय बड़े बदलाव के मुहाने पर खड़ी है, जहां कुछ भी बड़ा हो सकता है. उन्होंने कहा कि दुनिया का हर व्यक्ति चाहता है कि फ्री मार्केट हो लेकिन जब से लिबेराइजेशन हुआ है तभी से इस प्रक्रिया में इस नीति में काफी रुकावट आई है.

हमें पिछली सदी से जारी सैलरी सिस्टम को तोड़ना होगा. उन्होंने कहा कि बीते तीस साल में उन लोगों को भी सार्वजनिक एक्सेस मिलना शुरू हुआ है जिन्हें मैंने प्रिकेरियट (Precariat) माना है. जो भी व्यक्ति इनकम और बेरोजगारी की वजह से अस्थिर जीवन जी रहा है वही प्रिकेरियट है.

उन्होंने बताया कि इसके तहत तीन ग्रुप आते हैं जो कम इनकम वाले हैं लेकिन वर्किंग क्लास है, दूसरा जो अपना घर खो चुके हैं लेकिन फिर भी शरणार्थी के रूप में आगे बढ़ रहे हैं. और तीसरे वो जो यूनिवर्सिटी में ये सोच कर जाते हैं कि उनका फ्यूचर सेव है. मैंने कहा था कि पहला ग्रुप अगर तेजी से बढ़ा तो राजनीतिक मॉन्स्टर आ सकता है, नवंबर 2016 को वही हुआ जब लोगों ने मुझे कहा कि आपका राजनीतिक मॉन्स्टर आ गया.

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