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कॉन्क्लेव साउथ 2018: देश को चाहिए दोगुना डॉक्टर, तीन गुना नर्से और चार गुना वॉर्ड बॉय

डॉ रेड्डी ने बताया कि जब पहली बार उन्होंने देश में अपोलो को लाने की कोशिश की तब तत्कालीन वित्तमंत्री आर वेंकटरमण ने तमाम कोशिश करने के बावजूद अपनी सरकार को मेडिकल क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए तैयार कर पाने में असमर्थता जताई. लेकिन जब प्रणव मुखर्जी देश के वित्त मंत्री बने...

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ 2018 इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ 2018
राहुल मिश्र
  • हैदराबाद,
  • 19 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 1:56 PM IST

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ 2018 के अहम सत्र में अमेरिका के मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट और अपोलो हॉस्पिटल के चेयरमैन प्रताप रेड्डी ने कहा कि मौजूदा चुनौतियों के मुताबिक देश को दो गुना डॉक्टर, तीन गुना नर्स और चार गुना वार्ड बॉय की जरूरत है. डॉ रेड्डी ने देश में मेडिकल सेवाओं की बदलती स्थिति पर कहा कि जब एक परिवार अमेरिका में अपने बच्चों का इलाज कराने के लिए पैसे नहीं बटोर सका और बच्चे की मौत हो गई तब उन्होंने अमेरिका से भारत आकर अपोलो हॉस्पिटल की नींव रखी.

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इस सत्र के दौरान डॉ रेड्डी ने बताया कि जब पहली बार उन्होंने देश में अपोलो को लाने की कोशिश की तब तत्कालीन वित्तमंत्री आर वेंकटरमण ने तमाम कोशिश करने के बावजूद अपनी सरकार को मेडिकल क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए तैयार कर पाने में असमर्थता जताई. लेकिन जब प्रणव मुखर्जी देश के वित्त मंत्री बने तब उन्होंने सरकार को राजी किया और आज देश में 5 दर्जन से ज्यादा अपोलो शाखाएं मौजूद हैं.

डॉ रेड्डी ने कहा कि देश में कैंसर के साथ-साथ हॉर्ट केयर की चुनौतियों से निपटने की तैयारी करने की जरूरत है. डॉ रेड्डी के मुताबिक हॉर्ट में समस्या और कैंसर की मौजूदगी दोनों आसानी से दूर की जा सकती है यदि मरीज में उसके लक्षण समय रहते देख लिए जाएं. दोनों की बिमारियां जल्द पकड़ में आने पर पूरी तरह इलाज संभव है.

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हालांकि इस सत्र के दौरान इंडिया टुडे की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी के सवाल कि क्या अपोलो में डॉक्टर्स के सामने भी टार्गेट की चुनौती रहती है? इसपर अपोलो की ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर संगीता रेड्डी ने कहा कि उनके हॉस्पिटल समेत देश के किसी भी बड़े निजी हॉस्पिटल में डॉक्टर्स को किसी तरह का टार्गेट नहीं दिया जाता. अपोलो समेत सभी प्रतिष्ठित संस्थानों में मरीज का इलाज सिर्फ मरीज की जरूरत पर ही आधारित रहता है.

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