
कोरोना और लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था की हालत खराब है. तमाम रेटिंग एजेंसियां इस वित्त वर्ष में जीडीपी में 0 से लेकर 2 फीसदी तक बढ़त होने का अनुमान जाहिर कर रही हैं. ऐसे में इंडिया टुडे ई-कॉन्क्लेव में शामिल इकोनॉमी के दो दिग्गज जानकारों, सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) के.वी. सुब्रमण्यम और योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया की राय भी कुछ इसी तरह की बंटी हुई रही.
इंडिया टुडे के ई-कॉन्क्लेव जम्प स्टार्ट सीरीज के एक सत्र में गुरुवार शाम को केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के.वी. सुब्रमण्यम और योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया शामिल हुए. इस सत्र का संचालन इंडिया टुडे टीवी के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल ने किया.
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कितनी हो सकती है जीडीपी में बढ़त
सुब्रमण्यम ने कहा कि ऐसे दौर में वह यह नहीं कह सकते कि कोई सकारात्मक या सामान्य हालात है. लेकिन किसी तरह की पूर्व धारणा से दूर रहते हुए वह यह कहेंगे कि इस साल की तीसरी और चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था में वी शेप रिकवरी होगी. हम इस वित्त वर्ष में जीडीपी में 1.5 से 2 फीसदी की बढ़त देख सकते हैं.
दूसरी तरफ, मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि लॉकडाउन के बाद देश का राजस्व और घटेगा क्योंकि अर्थव्यवस्था की खराब हालत की वजह से सरकार का विनिवेश लक्ष्य पूरा नहीं होगा. इसके अलावा सरकार को गरीबों की मदद और हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भारी खर्च भी करना होगा. इन सबकी वजह से जीडीपी पर करीब 3 फीसदी का बोझ पड़ेगा. इसका मतलब यह है कि इस साल केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा 6 फीसदी से ज्यादा हो सकता है.
मोंटेक ने कहा, 'हमें सबसे अच्छे की उम्मीद करनी चाहिए लेकिन बदतर के लिए तैयार रहना चाहिए. हम जो भी योजना बनाएं उसमें यह स्वीकार करें कि इस साल शून्य फीसदी या थोड़ा नेगेटिव ग्रोथ हो सकता है.'
मोंटेक ने लॉकडाउन को सही रणनीति बताया
अर्थव्यवस्था के लिहाज से क्या सरकार कोरोना से सही ढंग से निपट रही है? इस सवाल पर मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि लॉकडाउन लगाना सही है. टीका और कोई उपचार न होने की स्थिति में शुरुआती चरण में यही एक रास्ता था. लेकिन इसके बाद अब सवाल पूछना होगा कि क्या हमने इस समय का सही उपयोग किया? क्या हमने इस दौरान जरूरी हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किए?
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रेड जोन में लॉकडाउन पर काफी कुछ निर्भर है
मोंटेक सिंह ने कहा, 'दूसरी बात मैं यह कहना चाहूंगा कि चरणबद्ध रूप से लॉकडाउन को खत्म करना सही है. लेकिन यह बात ध्यान रखनी होगी कि रेड जोन देश के कुछ शहरों में ही है, लेकिन ये देश की जीडीपी में करीब 60 फीसदी योगदान करते हैं. इसलिए जब तक रेड जोन में लॉकडाउन रहता है इकोनॉमी फिर से पटरी पर नहीं आ सकती.'
के.वी. सुब्रमण्यम ने कहा कि अगर आप स्पैनिश फ्लू का इतिहास देखें तो जिन देशों ने सबसे पहले दखल दिया और लॉकडाउन को बनाए रखा वहां सेहत ठीक होने के साथ ही सबसे ज्यादा आर्थिक उभार भी हुआ. लॉकडाउन जैसे उपायों से लॉन्ग टर्म में मृत्युदर कम होती है और अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटती है.