
देसी एयरलाइंस इंडिगो के प्रमोटर्स के बीच की लड़ाई बहुत निचले स्तर पर आ गई है. इसके एक प्रमोटर राकेश गंगवाल ने कंपनी में कॉरपोरेट गवर्नेंस के मामले में गंभीर खामियों की ओर संकेत करते हुए कहा कि 'पान की दुकान' भी इससे बेहतर तरीके से चलते हैं. कॉरपोरेट गवर्नेंस की खामियों के बारे में सेबी को भेजी शिकायत में गंगवाल ने आरोप लगाया है कि भाटिया ने कई ऐसे लेनदेन किए हैं, जिन पर सवाल उठाए जा सकते हैं.
सेबी से शिकायत
गंगवाल इंडिगो के एक और प्रमोटर एवं सह-संस्थापक राहुल भाटिया भाटिया के साथ कड़वी लड़ाई में उलझे हैं. कॉरपोरेट गवर्नेंस की खामियों के बारे में सेबी को भेजी शिकायत में गंगवाल ने आरोप लगाया है कि भाटिया ने कई ऐसे लेनदेन किए हैं, जिन पर सवाल उठाए जा सकते हैं. शेयरहोल्डर्स का जो एग्रीमेंट है उसमें इंडिगो पर भाटिया को असामान्य नियंत्रण हासिल है. उन्होंने कहा कि कंपनी गवर्नेंस के उन मूल सिद्धांतों और मूल्यों से 'विचलित होना' शुरू कर चुकी है, जिसके बल पर वह आज खड़ी है.
गंगवाल ने अपने इस शिकायत की कॉपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को भी भेजी है.
गौरतलब है कि इंडिगो देश ही नहीं, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली एयरलाइंस में से है और इसके पीछे मुख्य फोर्स अमेरिकी एविएशन इंडस्ट्री में काम कर चुके राकेश गंगवाल को माना जाता है. गंगवाल की वजह से ही इंडिगो ने रिकॉर्ड संख्या में विमानों के ऑर्डर दिए हैं और भारत में आक्रामक तरीके से अपना काम बढ़ा रही है.
अमेरिकी नागरिक बन चुके गंगवाल पर्दे के पीछे रहकर काम करते हैं, जबकि राहुल भाटिया भारत में एयरलाइंस के ग्रोथ और नियमित कामकाज को देखते हैं. यह मतभेद पिछले दो साल में कई मौकों पर देखा गया. इसकी मुख्य वजह यह है कि गंगवाल जहां तेजी से एयरलाइंस को बढ़ाना चाहते हैं, वहीं भाटिया थोड़ा सतर्क रहकर आगे बढ़ने में भरोसा करते हैं.
31 मार्च, 2019 के तक इंडिगो एयरलाइंस का संचालन करने वाली कंपनी इंटरग्लोब एविएशन में राहुल भाटिया की 38 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि गंगवाल की 37 फीसदी हिस्सेदारी है. इस एयरलाइन की स्थापना भाटिया और गंगवाल ने 2006 में की थी. कंपनी को 2013 में शेयर मार्केट में सूचीबद्ध किया गया था.
सेबी ने मांगा जवाब
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इंडिगो से इसके एक प्रमोटर राकेश गंगवाल की तरफ से उठाई गई कथित शिकायत पर जवाब मांगा है. बीएसई में की गई नियामकीय फाइलिंग में कहा गया है, 'सेबी ने इस बीच कंपनी से 19 जुलाई, 2019 तक इस पत्र का जवाब देने को कहा है, जिसका कंपनी पालन करेगी.'
इंडिगो किसी तरह के संकट में आया तो यह भारतीय एविएशन बाजार के लिए काफी भयावह स्थिति होगी, क्योंकि इसके पहले हम दो निजी एयरलाइंस किंगफिशर और जेट एयरवेज को बर्बाद होते देख चुके हैं. सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया की भी हालत भी बेहद खराब है. यानी तीन एयरलाइंस तो पहले ही बर्बाद हो चुके हैं.
(www.businesstoday.in से साभार)