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ईरान-अमेरिका तनाव: भारत को हो सकता है ये बड़ा नुकसान, रुक गया बासमती निर्यात

ईरान और भारत के बीच बढ़ते तनाव की वजह से भारत को भी एक बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है. भारतीय निर्यातकों को इससे अपना भुगतान रुक जाने का डर है और इससे चाय से लेकर दवाओं तक का निर्यात प्रभावित हो सकता है.

खाड़ी में तनाव से निर्यात पर होगा असर खाड़ी में तनाव से निर्यात पर होगा असर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 2:33 PM IST

  • ईरान और अमेरिका के बीच तनाव की वजह से दुनिया भर में चिंता
  • भारतीय कारोबारियों को वहां होने वाले निर्यात को लेकर चिंता है
  • बासमती निर्यातकों ने ईरान को चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है
  • ऐसे माहौल में भारतीय निर्यातकों को अपना भुगतान फंस जाने का डर है

ईरान और भारत के बीच बढ़ते तनाव की वजह से भारत को भी एक बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है. भारतीय निर्यातकों को इससे अपना भुगतान फंस जाने का डर है और इससे चाय से लेकर दवाओं तक का निर्यात प्रभावित हो सकता है. हालात को देखते हुए ही बासमती निर्यातकों ने चावल के निर्यात पर फिलहाल रोक लगा दी है.

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क्यों रुका बासमती निर्यात

ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (AIREA) ने अपने सदस्यों से कहा है कि वे हालत में सुधार होने तक ईरान को कोई शिपमेंट न भेजें. पिछले वित्त वर्ष में भारत कुल 32,800 करोड़ रुपये का निर्यात किया था, जिसमें से करीब 10,800 करोड़ रुपये का निर्यात ईरान को हुआ. जून, 2019 तक हुए निर्यात के लिए बासमती निर्यातकों का ईरान पर करीब 900 करोड़ रुपये का बकाया भी है.

क्या है समस्या

असल में दोनों देशों ने एक साल पहले ही रुपये पर आधारित द्विपक्षीय व्यापार व्यवस्था बनाई है, लेकिन ईरान के पास रुपये का जो भंडार है (जिससे भारतीय निर्यातकों को भुगतान किया जाता है) वह तेजी से खत्म हो रहा है. जब तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो जाती, भारतीय निर्यातकों का भुगतान अगले तीन-चार महीने के लिए ठप पड़ सकता है.

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गौरतलब है कि अमेरिकी प्रतिबंध की वजह से करीब छह महीने पहले भारत ने ईरान से कच्चे तेल का आयात रोक दिया है. इसके बाद ईरान का रुपये का भंडार तेजी से खत्म होने लगा. पहले हुए समझौते के मुताबिक भारत को रुपये आधारित भुगतान सिस्टम से ईरान से कच्चे तेल का आयात करना था.

इसमें यह तय था कि भारत तेल के लिए 50 फीसदी भुगतान तब करेगा, जब भारत से होने वाले अन्य सामान के निर्यातकों का बकाया चुका दिया जाता है. लेकिन अब यह सिस्टम बंद हो चुका है, इसलिए भारतीय निर्यातकों को अपने माल के लिए भुगतान हासिल करने में समस्या आ सकती है.

कुछ ही महीने का भुगतान संभव

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के महानिदेशक और सीईओ अजय शाही ने कहा, 'मध्य-पूर्व में हो रहा घटनाक्रम भारत के लिए बड़ी चुनौती है. हमने ईरान से तेल आयात करना बंद कर दिया है, जिसकी वजह से रुपये के खाते में वहां धन की उपलब्धता सीमित हो गई है. हमें यह बताया गया है कि वहां अब जो पैसा बचा है उससे अगले तीन-चार महीने तक ही हमारे निर्यात के लिए भुगतान हो सकता है. उसके बाद क्या होगा यह एक बड़ी समस्या है.

किन उत्पादों का होता है निर्यात

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गौरतलब है कि ईरान को भारत मुख्यत: चावल, चाय, स्टील और दवाओं का निर्यात करता है. वहां से मुख्यत: तेल का आयात होता था, जो अब बंद है. भारत की कुल जरूरतों का करीब 10 फीसदी ईरान से आता था. साल 2018-19 में भारत ने कुल 111.9 अरब डॉलर का आयात किया था, जिसमें से 13.52 अरब डॉलर ईरान से आयात किया गया था. उस साल भारत ने ईरान को निर्यात 3.51 अरब डॉलर का किया था.

अमेरिका और ईरान जिस तरह से अड़े हुए हैं, उससे ऐसा लगता है कि यह संकट लंबा चलेगा. निर्यातक पूरे घटनाक्रम पर गहरी नजर रखे हुए हैं. बासमती चावल निर्यातकों के एसोसिएशन ने अपने सदस्यों को ईरान के साथ सौदे में सतर्कता बरतने की सलाह दी है.

(https://www.businesstoday.in/ के इनपुट पर आधारित)

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