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चुनाव से 3 दिन पहले बजट क्यों? विपक्षी नेता चुनाव आयोग पहुंचे

देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले आम बजट पेश करने को लेकर विपक्षी दलों के विरोध के बीच केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस कदम का बचाव किया है. अरुण जेटली ने इस बाबत विपक्षियों पर निशाना साधते हुए पूछा कि एक तरफ तो वे नोटबंदी को अलोकप्रिय फैसला बताते हैं, फिर वे इससे भयभीत क्यों हैं.

वित्तमंत्री अरुण जेटली की फाइल फोटो वित्तमंत्री अरुण जेटली की फाइल फोटो
साद बिन उमर
  • नई दिल्ली,
  • 05 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 11:30 AM IST

देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले आम बजट पेश करने को लेकर विपक्षी दलों के विरोध के बीच केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस कदम का बचाव किया है. अरुण जेटली ने इस बाबत विपक्षियों पर निशाना साधते हुए पूछा कि एक तरफ तो वे नोटबंदी को अलोकप्रिय फैसला बताते हैं, तो फिर वे इससे भयभीत क्यों हैं.

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वित्तमंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं से कहा, 'ये वे राजनीतिक दल हैं, जो कहती हैं कि नोटबंदी की लोकप्रियता बहुत कम है. तो फिर वे आम बजट से डर क्यों रहे हैं?'

विपक्षी दल चुनाव आयोग पहुंचे
विधानसभा चुनावों के ठीक पहले केंद्रीय बजट पेश करने के विरोध में विपक्ष के तमाम दल चुनाव आयोग से शिकायत करेंगे. टीएमसी, सपा, बीएसपी, जेडीयू औऱ आरजेडी के नेता चुनाव आयोग से पहुंचने लगे हैं.

जेटली से जब पूछा गया कि वर्ष 2012 में उत्तर प्रदेश सहित दूसरे राज्यों में चुनाव खत्म होने के बाद मार्च में बजट पेश किया गया था, तो उन्होंने कहा, यह कोई हमेशा की प्रथा (जिसका पालन किया जाए) नहीं रही. वह कहते हैं, 'लोकसभा चुनावों से ठीक पहले अंतरिम चुनाव पेश किया जाता है. किसी ने उसे तो नहीं रोका. 2014 में भी आम चुनाव से कुछ ही दिनों पहले अंतरिम बजट पेश किया गया था. यह एक संवैधानिक जरूरत है.'

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बता दें कि अगले वित्तवर्ष के पहले दिन से ही लोक कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च शुरू करने को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने फरवरी के अंतिम दिन बजट पेश की वर्षों पुरानी प्रथा को खत्म कर इस साल 1 फरवरी को आम बजट पेश करने का फैसला किया है. वहीं चुनाव आयोग ने बुधवार को यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में 4 फरवरी से चुनाव शुरू कराने का ऐलान किया है.

ऐसे में विभिन्न राजनीतिक दलों ने 1 फरवरी को आम बजट पेश करने के फैसले के खिलाफ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और चुनाव आयोग में दस्तक दी. कांगेस, लेफ्ट, सपा और बसपा जैसी पार्टियों ने इस कदम को लेकर आपत्तियां जताई हैं. उनका मानना है कि इस बजट में लोकलुभावन घोषणाएं कर वोटरों को प्रभावित किया जा सकता है.

हालांकि अरुण जेटली का कहना है कि आम बजट को पहले पेश करने का एक मकसद विभिन्न मदों में खर्चे को जल्द शुरू करना है, क्योंकि इससे पहले के वर्षों में यह मानसूनी महीने के बाद ही शुरू हो पाता था. उन्होंने कहा, 'ये वास्तविक खर्चे आधा साल बीत जाने की बजाय मानसून शुरू से पहले अप्रैल में ही शुरू हो जाने चाहिए. केंद्र के इस कदम का असल मकसद यही है और हम उस पर अडिग हैं.'

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वहीं नोटबंदी के बाद से बैंकों एवं एटीएम से कैश निकासी पर लगी पाबंदी हटाने को लेकर पूछे गए सवाल पर वित्तमंत्री जेटली ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया और कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) बाजार के हालात का जायजा लेने के बाद ये पाबंदी हटाने पर फैसला लेगा. जेटली ने कहा, 'आरबीआई बाजार के हालात का जायजा लेने के बाद फैसला करेगा. कई बार चरणबद्ध तरीके से कदम उठा जाते हैं, इसलिए रियायतें भी चरणों में मिल सकती हैं.'

गौरतलब है कि अभी एक खाताधारक बैंक से हफ्ते भर में 24,000 रुपये, जबकि एटीएम से एक दिन में अधिकत्म 4500 रुपये ही निकाल सकता है.

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