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RBI सरप्लस कैश को 3 से 5 साल में सरकार को ट्रांसफर करने की जालान समिति ने की सिफारिश

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति ने केंद्रीय बैंक के सरप्लस को सरकार के ट्रांसफर करने के मसले पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है. सूत्रों के अनुसार समिति ने अपनी रिपोर्ट में आरबीआई के सरप्लस कैश को 3 से 5 साल में सरकार को ट्रांसफर करने की सिफारिश की है.

आरबीआई के सरप्लस कैश को 3 से 5 साल में सरकार को ट्रांसफर करने की सिफारिश आरबीआई के सरप्लस कैश को 3 से 5 साल में सरकार को ट्रांसफर करने की सिफारिश
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 8:38 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति ने केंद्रीय बैंक के सरप्लस को सरकार के ट्रांसफर करने के मसले पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है. दरअसल RBI की इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क (ECF) पैनल की अहम बैठक हुई, जिसमें सरप्लस को लेकर चर्चा हुई.  सूत्रों के अनुसार समिति ने अपनी रिपोर्ट में आरबीआई के सरप्लस कैश को 3 से 5 साल में सरकार को ट्रांसफर करने की सिफारिश की है.

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बैठक में यह तय हुआ है कि सरप्लस चरणबद्ध तरीकों में ट्रांसफर किया जाएगा. जालान समिति अपनी रिपोर्ट अगले 10 से 15 दिनों में RBI को सौंप सकती है.

हालांकि अभी तक ये साफ नहीं हो पाया है कि RBI अपने सरप्लस कैश में कितना पैसा सरकार को देगी. गौरतलब है कि यह मसला काफी संवेदनशील रहा है. केंद्र सरकार रिजर्व बैंक के फंड से धन हासिल करना चाहती है, जबकि कई वर्गों में इसको लेकर विरोध है.

दरअसल, आरबीआई ने अपनी आर्थिक पूंजी रूपरेखा की समीक्षा के लिए पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर जालान की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था. 6 सदस्यीय इस समिति में आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन समिति के उपाध्यक्ष हैं और समिति में आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग, आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के सदस्य भारत दोषी, सुधीर मांकड़ और आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एन. एस. विश्वनाथन सदस्य हैं.

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आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के कार्यकाल के आखिर में आरबीआई और सरकार के बीच टकराव के केंद्र में वित्त मंत्रालय का वह प्रस्ताव था, जिसमें केंद्रीय बैंक की कुल 9.89 लाख करोड़ रुपये की आरक्षित निधि के एक-तिहाई से अधिक 3.6 लाख करोड़ रुपये राजकोष में हस्तांतरित करने की मांग को लेकर खबर आई थी.  

विवाद के बाद RBI की ओर से बिमल जालान की अध्यक्षता में 26 दिसंबर 2018 को एक समिति गठित की गई थी. इस समिति को तय करने के लिए कहा गया था कि RBI को कितना पैसा सरकार को देना चाहिए. हालांकि इससे पहले रिपोर्ट आई थी कि बिमल जालान कमेटी आरबीआई के फंड में से केंद्र को 50 हजार करोड़ रुपये ट्रांसफर करने का सुझाव दे सकती है.

बता दें, रिजर्व बैंक की 2017-18 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक रिजर्व बैंक के पास 2.32 लाख करोड़ रुपये का कॉन्टीजेंसी फंड है, इसके अलावा 22,811 करोड़ रुपये का एसेट डेवलपमेंट फंड है. जबकि करेंसी और सोने से जुड़े अकाउंट में 6.91 लाख करोड़ रुपये हैं. इस तरह से रिजर्व बैंक के पास कुल 9.59 लाख करोड़ रुपये की पूंजी है.

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