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गुजरात, UP की तर्ज पर जम्मू-कश्मीर में भी निवेश लाने की कोशि‍श, अप्रैल में पहला ग्लोबल समिट

जम्मू-कश्मीर में अप्रैल महीने में पहला वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है. राज्य के उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने कहा कि इसके तहत सेक्टोरल सेमिनार का आयोजन किया जाएगा और मुख्य कार्यक्रम श्रीनगर में आयोजित होगा.

कश्मीर में कालीन जैसे कई इंडस्ट्री को निवेश की जरूरत (फोटो: PIB) कश्मीर में कालीन जैसे कई इंडस्ट्री को निवेश की जरूरत (फोटो: PIB)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 9:09 PM IST

  • कश्मीर में भारी निवेश लाने की योजना पर हो रहा काम
  • अप्रैल में पहले ग्लोबल इनवेस्टमेंट समिट का आयोजन
  • गुजरात और यूपी की तर्ज पर निवेश लाने की कवायद

गुजरात, यूपी की तर्ज पर जम्मू-कश्मीर में भी भारी निवेश लाने की योजना पर काम हो रहा है. जम्मू-कश्मीर में अप्रैल महीने में पहला वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है.

इस शिखर सम्मेलन की दिल्ली में पत्रकारों को जानकारी देते हुए राज्य के उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने कहा कि इसके तहत सेक्टोरल सेमिनार का आयोजन किया जाएगा और मुख्य कार्यक्रम श्रीनगर में आयोजित होगा. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और राज्य के नए मुख्य सचिव बी.वी.आर सुब्रह्मण्यम भी इस मौके पर मौजूद थे.

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सीमित ही हैं इंटरनेट पर प्रतिबंध!

इंटरनेट प्रतिबंधों के बारे में उपराज्यपाल ने कहा कि ये प्रतिबंध विघटनकारी गतिविधियों तक सीमित हैं और व्यावसायिक गतिविधियों के लिए इंटरनेट की सुविधा दी जा रही है. न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक उन्होंने कहा, 'हम इस तरह की स्थिति का सामना कई साल से कर रहे हैं, लेकिन अब अनुकूल कार्रवाई की वजह से आतंकवाद के खतरे को कम किया गया है.'

मुर्मू ने कहा, 'सामान्य जनजीवन बहाल किया गया है. आतंकवादियों के लिए अब हालात असामान्य हैं.' मुख्य सचिव सुब्रह्मण्यम ने कहा कि इंटरनेट की बहाली के लिए कदम उठाए गए हैं. उन्होंने कहा, 'गृह सचिव इस पर कार्य कर रहे हैं. इस पर काम पाइपलाइन में है.'

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को पिछले साल 5 अगस्त को सरकार ने निष्प्रभावी कर दिया था. 2019 लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी जीत हासिल कर मोदी सरकार ने सबसे पहले इस फैसले को लिया. 5 अगस्त को फैसले के बाद घाटी में काफी कुछ बदल गया, जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया, लद्दाख अलग से केंद्र शासित प्रदेश बन गया.

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जिस वक्त केंद्र सरकार ने ये फैसला लिया, तो जम्मू-कश्मीर में कई तरह की पाबंदियां लगाई गई थीं. जम्मू-कश्मीर में मोबाइल फोन, इंटरनेट, टीवी पर बैन लगाया गया, कई क्षेत्रों में धारा 144 लगाई गई. हालांकि, कुछ दिनों के बाद समय-समय पर घाटी से पाबंदियां हटती चली गईं.  फैसले को लागू करने के दौरान किसी तरह की दिक्कत ना हो, कोई राजनीतिक प्रदर्शन न हो इसके लिए प्रशासन की ओर से राज्य में कई नेताओं को हिरासत में लिया गया या फिर उन्हें नज़रबंद कर दिया गया. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, फारुक अब्दुल्ला समेत अन्य कुछ बड़े नेताओं का नज़रबंद करना शामिल रहा.

पीएम मोदी ने की थी निवेश की अपील

केंद्र सरकार के फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब पहली बार देश को संबोधित किया तो उन्होंने नए कश्मीर की लकीर खींची. इसमें शांति, विकास और राज्य के बढ़ावे के लिए इस फैसले को जरूरी बताया गया. पीएम मोदी ने इस दौरान सभी से जम्मू-कश्मीर का साथ देने, वहां निवेश करने की अपील भी की.

कश्मीरी कारोबारी करते हैं भारी नुकसान का दावा

हालांकि, कश्मीर के लोग पाबंदियों की वजह से भारी आर्थिक नुकसान की बात कर रहे हैं. कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष शेख आशिक ने हाल में एक बयान में कहा था कि घाटी की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चौपट हो गई है. शेख का दावा था कि घाटी में अब तक 18,000 करोड़ का आर्थिक नुकसान हुआ है. ट्रांसपोर्ट, शिकारा, हस्तशिल्प और पर्यटन जैसे हर सेक्टर से जुड़े लोग बिना काम के बैठे हुए हैं.  

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