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संसद की नई इमारत बनाने के लिए रेस में है राम मंदिर बनाने जा रही ये कंपनी

संसद भवन के लिए नई इमारत बनाने की रेस में अब तीन कंपनियों का नाम फाइनल राउंड में है. इनमें लार्सन ऐंड टूब्रो (L&T) भी शामिल है, जिसे अयोध्या में राम मंदिर बनाने का काम मिला है. सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत संसद भवन की नई इमारत बनाई जानी है.

मौजूदा संसद भवन के पास ही बनेगी नई इमारत मौजूदा संसद भवन के पास ही बनेगी नई इमारत
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 3:43 PM IST

  • करीब 889 करोड़ की लागत से बनेगी संसद की नई इमारत
  • सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिए तीन कंपनियां फाइनल रेस में

संसद भवन के लिए नई इमारत बनाने की रेस में अब तीन कंपनियों का नाम फाइनल राउंड में है. इनमें लार्सन ऐंड टूब्रो (L&T) भी शामिल है, जिसे अयोध्या में राम मंदिर बनाने का काम मिला है.

केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) के रिकॉर्ड के मुताबिक तीन कंस्ट्रक्शन कंपनियां संसद भवन की नई इमारत बनाने के लिए फाइनेंशियल बिड जमा करने के लिए पात्र मानी गई हैं. इनमें लार्सन ऐंड टूब्रो (L&T), टाटा प्रोजेक्ट्स, शापूरजी पालोनजी ऐंड कंपनी शामिल हैं.

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केंद्र की महत्वाकांक्षी परियोजना

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत संसद भवन की नई इमारत बनाई जानी है. यह इमारत मौजूदा संसद भवन के पास ही प्लॉट नंबर 118 पर बनाई जाएगी. यह इमारत बेसमेंट को मिलाकर दो मंजिल की होगी. CPWD के मुताबिक इस पर करीब 889 करोड़ रुपये की लागत आएगी और निर्माण कार्य 21 महीने में पूरा होगा. प्री-क्वालिफिकेशन के दौर में सात कंपनियों को शामिल किया गया था, लेकिन इनमें से सिर्फ तीन कंपनियां ही फाइनल बिडिंग राउंड के लिए चुनी गईं.

राम मंदिर निर्माण का जिम्मा भी L&T को

तीनों फाइनल कंपनियों में से एक L&T को राम मंदिर बनाने का भी जिम्मा मिला है. लार्सन ऐंड टूब्रो को राम मंदिर ​निर्माण का काम मिलने के पीछे की एक बड़ी वजह यह है कि जिस वक्त मंदिर निर्माण की बात 90 के दशक में चल रही थी, तब अशोक सिंघल ने इस कंपनी से संपर्क साधा था. कानूनी विवादों की वजह से कोई बात आगे नहीं बढ़ी थी, लेकिन अब जब तमाम बाधाएं दूर हो चुकी हैं, तो अब कंपनी खुद ही उस बातचीत के आधार पर मंदिर बनाने के लिए आगे आई है.

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भारत की बहुराष्ट्रीय कंपनी

लार्सन ऐंड टूब्रो (L&T) एक ऐसी बहुराष्ट्रीय कंपनी है जो भारत की है और यहीं इसका केंद्र है. यह टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन की एक दिग्गज कंपनी है. यह दुनिया के 30 देशों में हाईड्रोकार्बन, इन्फ्रास्ट्रक्चर, पावर, प्रो​सेस इंडस्ट्रीज और डिफेंस के क्षेत्र में ग्राहक कंपनियों के लिए काम करती है.

मुंबई मुख्यालय वाली इस कंपनी की स्थापना डेनमार्क के दो इंजीनियरों हेनिंग हॉल्क लार्सन और सॉरेन क्रिस्टियन टूब्रो ने 1938 में की थी. अब इसका स्वामित्व भारतीय हाथों में है. अनिल मणिभाई यानी ए.एम नाइक इसके चेयरपर्सन हैं.

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