
बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन लोगों को मामूली राहत दी है जिन्हें आयकर अधिकारियों की कार्रवाई का डर बना हुआ था. दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के एक आदेश को रद्द कर दिया है. इस आदेश के तहत आयकर अधिकारियों पर अप्रत्यक्ष रूप से कार्रवाई का दबाव बन रहा था.
सीबीडीटी ने बीते साल 'केंद्रीय कार्रवाई योजना' (सीएपी) के तहत एक आदेश जारी किया था. इस आदेश में कहा गया था कि केंद्रीय अपीलीय आयकर अधिकारियों के वर्ष 2018-19 में वार्षिक प्रदर्शन का आकलन उनके द्वारा दिए गए गुणवत्ता वाले आदेशों पर निर्भर करेगा. उदाहरण के लिए आयकर अधिकारी ने 2018-19 में टैक्स पेयर्स पर जुर्माना लगाएंगे या फिर टैक्सपेयर्स के टैक्स असेसमेंट से जुड़े फैसले लेंगे उनका प्रदर्शन उतना ही बेहतर माना जाएगा. लेकिन सीबीडीटी के इस फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी गई.
इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने सीबीडीटी के आदेश को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट की जस्टिस अकील कुरैशी और जस्टिस सारंग कोतवाल की पीठ ने यह फैसला सुनाया. यह जनहित याचिका चैंबर आफ टैक्स कंसल्टेंट की ओर से हितेष दोषी के अलावा विधि कंपनी एसलीगल की ओर से दायर की गई थी.
याचिकाकर्ताओं ने सीबीडीटी की ओर से तैयार किए गए अधिकारियों के कार्यप्रदर्शन आकलन की नई प्रणाली को चुनौती दी थी. याचिका में कहा गया था कि इस तरह के लक्ष्यों और समयसीमा तय किये जाने से आयकर आयुक्तों पर कर मामलों को जल्दबाजी में तय करने का दबाव बढ़ेगा. इससे करदाता के मामले पर उचित सुनवाई नहीं हो सकेगी.
बता दें कि सीएपी में अधिकारियों द्वारा प्रत्येक मामले में आदेश पारित करने का समय भी तय किया गया है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में इस नीति को पूरी तरह अस्वीकार्य और अवैध बताया है.