
लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट पेश हो चुका है. हर बार की तरह इस बार भी बजट में सरकार ने अपने खर्चे और कमाई का हिसाब दिया है. सरकार ने राजकोषीय यानी खजाने के घाटे को जीडीपी के 3.3 फीसदी पर रखने का लक्ष्य रखा है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019-20 का बजट पेश करते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को घटाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.3 प्रतिशत किया जा रहा है. पहले इसके 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था. इसके साथ ही सरकार को मिलने वाले रेवेन्यू और होने वाले खर्च के बारे में भी बताया गया. आइए सरकार के ''बहीखाता'' का गणित प्रति रुपये के हिसाब से समझते हैं.
रुपया आता कहां से है?
केंद्र सरकार को मिलने वाले प्रत्येक 1 रुपये में जीएसटी की वसूली से 19 पैसे मिलने की उम्मीद है. वहीं कॉरपोरेट टैक्स का योगदान 21 पैसे अनुमानित है. सरकार को उधार और दूसरी प्राप्तियों से 20 पैसे और आयकर से 16 पैसे मिलेंगे. केंद्र सरकार को नॉन टैक्स रेवेन्यू के तौर पर विनिवेश से 9 पैसे मिलेंगे. इसी तरह केन्द्रीय उत्पाद शुल्क से आठ पैसे, सीमा शुल्क से चार पैसे और गैर-रिण पूंजी प्राप्तियों से तीन पैसे मिलेंगे.
रुपया जाता कहां है?
सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक 1 रुपये में ब्याज भुगतान पर 18 पैसे, रक्षा क्षेत्र के लिये आवंटन पर 9 पैसे खर्च होंगे. केन्द्रीय क्षेत्र की योजनाओं पर 13 पैसे खर्च होंगे जबकि केन्द्र प्रायोजित योजनाओं पर 9 पैसे खर्च होंगे. वित्त आयोग की सिफारिशों पर हस्तांतरण पर सात पैसे खर्च होंगे. सब्सिडी की मद में आठ पैसे जाएंगे जबकि पेंशन पर पांच पैसे का खर्च होगा- 8 पैसे सरकार दूसरी मदों पर खर्च करेगी. करों और शुल्कों में राज्यों का हिस्सा 23 पैसे का होगा.