Advertisement

5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के लिए चाहिए विदेशी कर्ज, स्वदेशी जागरण मंच ने किया विरोध

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा था कि अगले पांच साल में बुनियादी ढांचे में 100 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा और इसके लिए सॉवरेन बॉन्ड के द्वारा विदेश से कर्ज लिया जाएगा. लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी संस्था स्वदेशी जागरण मंच ने इसे राष्ट्र हित के खिलाफ बताया है.

विदेश से धन जुटाने की सरकार की है योजना विदेश से धन जुटाने की सरकार की है योजना
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 10:55 AM IST

मोदी सरकार की दूसरी पारी में देश को अगले 5 साल में 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य की घोषणा करते हुए कहा कि इसके लिए विकास योजनाओें पर कई लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और सॉवरेन बॉन्ड के द्वारा विदेश से कर्ज लिया जाएगा. लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ी संस्था स्वदेशी जागरण मंच ने विदेशी कर्ज लेने के मोदी सरकार के प्रस्ताव का विरोध करते हुए इसे राष्ट्र हित के खिलाफ बताया है.  

Advertisement

देश को 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने के लिए अगले पांच साल में बुनियादी ढांचे में 100 लाख करोड़ रुपये के निवेश का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है. बजट में वित्त मंत्री ने विदेश से कर्ज और अन्य तरीके से धन जुटाने की बात कही है. सरकार ने संकेत दिया है कि इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में इसके लिए पहला सॉवरेन बॉन्ड जारी किया जाएगा.

स्वदेशी जागरण मंच (SJM)का कहना है कि विदेश से कर्ज लेना देशहित के खिलाफ है और इससे अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक जोखिम हो सकता है. इससे धनी देश और उनकी संस्थाएं हमारे देश की नीतियों का निर्धारण में दखल दे सकती हैं. SJM के सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने कहा कि उनका संगठन इसका विरोध करेगा और इसके लिए देश के प्रभावशाली अर्थशास्त्र‍ियों की बैठक आयोजित की जाएगी. महाजन ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से कहा, 'हम इसे नहीं होने देंगे. हमें पूरा भरोसा है कि सरकार इन बॉन्ड को लाने के अपने निर्णय को वापस लेगी.'  

Advertisement

उन्होंने अर्जेंटीना और टर्की का उदाहरण देते हुए कहा, 'हम उन देशों का उदाहरण देख चुके हैं, जिन्होंने अपने सरकारी घाटे की भरपाई के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों से लोन लिया है. उन देशों का अभी तक का अनुभव अच्छा नहीं रहा है.'

महाजन ने कहा कि विदेश से कर्ज लेने का मतलब है कि रुपये का अवमूल्यन तेजी से होगा और विदेशी सरकारें टैरिफ में कटौती का दबाव बनाएंगी. 

भारत सरकार की इस घोषणा के बाद कई देश अपने लिए अच्छी संभावना देख रहे हैं. ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेजा मे ने हाल में लंदन में कहा था कि उन्हें इस बात की उम्मीद है कि भारत सरकार अपना पहला सॉवरेन बॉन्ड लंदन से जारी करेगी.

वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने हाल में न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कहा था कि सरकार चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में (अक्टूबर से अप्रैल) बॉन्ड बेचकर विदेश से धन जुटाने की योजना बना रही है. उन्होंने बताया कि मर्चेट बैंकर की नियुक्ति समेत बॉन्ड की मात्रा, समय और संख्या के साथ बाजार के संबंध में फैसला अगले महीने लिया जा सकता है.

क्या होता है सॉवरेन बॉन्ड

 बॉन्ड निश्चित रिटर्न देने वाला एक ऐसा साधन होता है जिसके द्वारा कंपनियां या सरकार कर्ज जुटाती हैं. जो बॉन्ड खरीदता है वह एक तरह से सरकार या कंपनी को कर्ज दे रहा होता है और उसे इसके बदले एक निश्चित समय में मूलधन के साथ एक निश्चित रिटर्न देने का वायदा किया जाता है. इस तरह विदेश में सॉवरेन बॉन्ड जारी कर सरकार धन जुटाएगी और उस पैसे को विकास में लगाएगी. बाद में मैच्योरिटी पर यह पैसा सूद के साथ वापस किया जाएगा.  

Advertisement

 इसके पहले संकट से जूझ रही संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार 2013 में विदेश से पूंजी जुटाने के लिए सॉवरेन बांड जारी करने पर विचार कर रही थी जिसे आखिरकार प्रवासी भारतीय (एनआरआई) जमा योजना को तवज्जो देते हुए छोड़ दिया गया.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement