
देश की चर्चित एयरलाइन कंपनी इंडिगो के प्रमोटर्स के बीच की लड़ाई पर मोदी सरकार सख्त नजर आ रही है. दरअसल, सरकार चाहती है कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) इस मामले की गहराई तक जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे. यह पहली बार है जब इंडिगो के विवाद में सरकार के अधिकारियों की ओर से कोई संकेत दिए गए हैं.
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक इंडिगो के संबंध में जो बाते सामने आ रही हैं उनमें कंपनी संचालन स्वास्थ्य व्यवस्था और निष्पक्ष कारोबार के नियमों का उल्लंघन लग रहा है. ऐसे में अधिकारी चाहते हैं कि कंपनी के सभी डायरेक्टर्स और आपसी मतभेद में फंसे दोनों प्रमोटर्स से जुड़ी सभी यूनिट्स की जांच हो.
यहां बता दें कि इंटरग्लोब एविएशन लि. (आईजीएएल) देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो की मूल कंपनी है. कंपनी के प्रमोटर्स राकेश गंगवाल और राहुल भाटिया के बीच विवाद छिड़ा हुआ है. प्रमोटर्स के बीच की तू तू-मैं मैं निचले स्तर पर पहुंच गई है. कॉरपोरेट गवर्नेंस की खामियों के बारे में सेबी को भेजी शिकायत में प्रमोटर राकेश गंगवाल ने राहुल भाटिया के लेनदेन पर सवाल खड़े किए हैं. गंगवाल ने अपने इस शिकायत की कॉपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को भी भेज दी है. इस पूरे विवाद पर सेबी ने इंडिगो से जवाब मांगा है.
बता दें कि गंगवाल और उनसे संबद्ध लोगों की इंटरग्लोब एविएशन लि. में करीब 37 प्रतिशत हिस्सेदारी है. वहीं भाटिया समूह की आईजीएएल में करीब 38 फीसदी हिस्सेदारी है. इस विवाद के बीच राहुल भाटिया समूह ने बुधवार को कहा था कि सभी संबद्ध पक्षों के साथ लेनदेन उनसे उचित दूरी रखते हुये बाजार मूल्य के मुताबिक ही किये गए. इस विवाद का असर इंडिगो के शेयर मूल्य पर भी पड़ा है. इंटरग्लोब एविएशन को 2013 में शेयर मार्केट में सूचीबद्ध किया गया था.