
केंद्र सरकार ने मैटरनिटी लीव को बढ़ाकर 26 हफ्ते तक करने का प्रपोजल तैयार किया है. सरकार ने कहा कि सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाली महिलाओं को अब साढ़े 6 महीने (26 हफ्ते) की मैटरनिटी लीव मिल सकेगी. इसकी जानकारी केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने दी.
अभी तक 3 महीने की मैटरनिटी लीव की सुविधा
दरअसल फिलहाल प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाली महिलाओं को 3 महीने तक मैटरनिटी लीव मिलती है. बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि सेंट्रल लेबर मिनिस्ट्री पिछले काफी दिनों से मैटरनिटी लीव को बढ़ाने पर विचार कर रहा था जिसके बाद अब इसको लेकर प्रपोजल तैयार कर लिया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार की इस विधेयक को आगामी सत्र में ही पेश करने की योजना है.
इसी मानसून सत्र में बिल को पास कराने की कोशिश
गौरतलब है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए 26 सप्ताह या छह महीने के मैटरनिटी लीव का प्रावधान पहले ही है. वहीं निजी क्षेत्र की कंपनियां अधिकतम तीन महीने के अवकाश की पेशकश करती हैं. जबकि बहुत से छोटे संस्थानों में ये लाभ भी नहीं दिए जाते हैं, उन्होंने कहा कि नये मैटरनिटी लीव विधेयक में मैटरनिटी लीव को मौजूदा 12 सप्ताह से बढाकर 26 सप्ताह करने का प्रस्ताव है और केंद्रीय मंत्रिमंडल इसे मंजूरी के लिए शीघ्र ही विचार करेगा.
कामकाजी महिलाओं को तोहफा
मंत्री ने कहा कि मंत्रालय इस विधेयक को संसद के मानसून सत्र में पारित करवाना चाहेगा. हालांकि श्रम मंत्री कामकाजी माताओं को घर से काम करने का विकल्प उपलब्ध कराने को अनिवार्य बनाने को एक तरह से खारिज करते नजर आए. दत्तात्रेय ने कहा, 'कुछ प्रतिष्ठान हैं जहां उन्हें घर से काम करने की अनुमति मिल सकती है, लेकिन अन्य प्रष्ठिानों में उन्हें इस कानून में संशोधन के बाद 26 हफ्ते तक मैटरनिटी लीव की सुविधा मिलेगी.
कामकाजी महिलाओं की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद
इसके साथ ही मंत्री ने कहा कि दुकानों, मॉलों और सिनेामा हॉल सहित अन्य प्रतिष्ठानों को साल भर चौबीसों घंटे खुले रहने की अनुमति देने संबंधी मॉडल कानून से श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी. भारत में महिलाओं का प्रेग्नेंसी की वजह से वर्कप्लेस छोड़ने का रेट दुनिया में सबसे ज्यादा है. अगर कैबिनेट प्रपोजल को मंजूरी दे देती है, तो भारत उन 40 देशों में शुमार हो जाएगा जहां मैटरनिटी लीव 18 हफ्ते से ज्यादा दी जाती है.