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चीन के OBOR के जवाब में भारत का 'SASEC', कई देशों को जोड़ेगा ये प्रोजेक्ट

इस फैसले के अलावा कैबिनेट बैठक में फिलिस्तीन को भी मदद करने का फैसला लिया गया है. जिसके तहत फिलिस्तीन को स्वास्थय और दवाई के क्षेत्र में मदद की जाएगी. पीएम मोदी के हालिया इजरायल दौरे के बाद फिलिस्तीन के लिए कदम थोड़ा अलग रुख दिखलाता है.

भारत ने तैयार किया OBOR का जवाब भारत ने तैयार किया OBOR का जवाब
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 13 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 3:24 PM IST

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अब चीन के वन रोड-वन बेल्ट की काट निकालने में लगी है. बुधवार को पीएम मोदी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट बैठक में कई अहम फैसले लिए गए. जिसमें पड़ोसी देशों के साथ सड़क कनेक्टिविटी बढ़ाने की योजना शामिल है. इस योजना के तहत सरकार ने 'सासेक' कॉरिडोर परियोजना को आगे बढ़ाने का फैसला किया है. इसके अलावा सरकार ने बांग्लादेश के साथ रणनीतिक संबंधों पर भी जोर दिया है.

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दरअसल, केंद्र सरकार कई साल पहले शुरू की गई सासेक (साउथ एशियन सब रिजनल इकोनॉमिक को-ऑपरेशन) योजना को दोबारा तेज रफ्तार से शुरू करना चाहती है. इसके तहत भूटान, नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के साथ सड़क परियोजनाओं को लागू किया जाएगा. इसी के तहत कैबिनेट ने मणिपुर के इंफाल-मोरेह को जोड़ने के लिए 1630 करोड़ रुपये दिए गए हैं. मोरेह मणिपुर और म्यांमार बॉर्डर पर एक कस्बा है. मणिपुर में मौजूद यह हाईवे 65 किलोमीटर लंबा है.

ये भी पढ़ें - चीन की 'वन बेल्ट वन रोड' परियोजना का 'एनर्जी डिप्लोमेसी' के जरिये जवाब देगा भारत

बांग्लादेश से भी दोस्ती

कैबिनेट ने बांग्लादेश के साथ पहले से ही मजबूत हो रहे रिश्ते को और गहराई देने के लिए दो महत्वपूर्ण फैसले किए हैं. इसमें बांग्लादेश के साथ निवेश बढ़ाने के लिए समझौता किया है. इसे ज्वाइंट्स इंटरप्रेटिव नोट्स (जेआइएन) का नाम दिया गया है. वहीं सरकार ने भारत व बांग्लादेश के बीच साइबर हमले के मामले में रणनीतिक सहयोग बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी है.

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50 बिलियन डॉलर का है CPEC प्रोजेक्ट

इससे पहले भी खबर आई थी कि भारत पड़ोसी देश में लगातार बढ़ रहे चीन के निवेश का रिव्यू करेगा. अपने रणनीतिक हितों को देखते हुए भारत ने चीन की वन बेल्ट वन रोड नीति पर चिंता जताई है. 50 बिलियन डॉलर का चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है. केंद्र सरकार बांग्लादेश, भूटान, म्यामांर, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका में चीनी निवेश की प्रकृति और प्रभाव का भी विश्लेषण करेगी. इसके साथ ही अफगानिस्तान और मालदीव में चीनी निवेश का भी अध्ययन किया जाएगा. हालांकि इस अध्ययन में सबसे बड़ी बाधा पड़ोसी देशों के सालाना एफडीआई और चीनी एफडीआई का विस्तृत डाटा न होना है.

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CPEC से पाकिस्तान को मिलेगा बाजार

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर विश्वजीत धर के मुताबिक चीनी निवेश पाकिस्तान को बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल के बाजार में पहुंचा सकता है, जहां वह भारतीय कंपनियों को चैलेंज कर सकता है. इन देशों में भारत एक अहम खिलाड़ी है. प्रोफेसर धर कहते हैं कि चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट पाकिस्तान को सेंट्रल एशिया रिपब्लिक्स (CAR) से जोड़ सकता है. इससे पाकिस्तान को इन बाजारों में अपने पांव जमाने में मदद मिल सकती है.

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फिलिस्तीन को भी मदद

इस फैसले के अलावा कैबिनेट बैठक में फिलिस्तीन को भी मदद करने का फैसला लिया गया है. जिसके तहत फिलिस्तीन को स्वास्थय और दवाई के क्षेत्र में मदद की जाएगी. पीएम मोदी के हालिया इजरायल दौरे के बाद फिलिस्तीन के लिए कदम थोड़ा अलग रुख दिखलाता है.

 

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