
नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली है. वहीं उनके कैबिनेट में शामिल मंत्रियों ने भी शपथ ली. इसके साथ ही मोदी सरकार के आने वाले पांच सालों का कार्यकाल भी नई चुनौतियों और लक्ष्य के साथ शुरू हो चुका है. मोदी सरकार-2 की सबसे बड़ी चुनौती देश की अर्थव्यवस्था को और मजबूत करने पर होगी. देश की अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर नई सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. इस बार पीएम मोदी के पास ढेरों चुनौतियां हैं.
जीडीपी ग्रोथ रेट में सुधार
किसी भी देश की मजबूत अर्थव्यवस्था उसकी जीडीपी से आंकी जाती है. देश की जीडीपी में जितना सुधार होगा, उतनी ही देश की प्रगति होगी. वित्त वर्ष 2018 -19 में जीडीपी ग्रोथ रेट सिर्फ 6.98 फीसदी रहने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष की GDP ग्रोथ रेट 7.2 फीसदी से कम है. ऐसे में मोदी सरकार-2 के सामने जीडीपी में सुधार की चुनौती होगी.
रोजगार के अवसर
मोदी सरकार 2.0 के लिए एक और सबसे बड़ी चुनौती रोजगार में तेज बढ़त करने की होगी. हाल ही में मीडिया में लीक एनएसएसओ की पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे यानी PLFS रिपोर्ट में कहा गया था कि 2017-18 में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी तक पहुंच गई, जो 45 साल में सबसे ज्यादा है. ऐसे में मोदी सरकार के सामने रोजगार बढ़ाने की चुनौती रहेगी.
कृषि सेक्टर की खस्ता हालत
आए दिन किसानों के आंदोलन को लेकर सुर्खियां सामने आती रहती हैं. ऐसे में नई सरकार को कृषि में बड़ी समस्याएं हल करनी होंगी और 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का अपना वादा पूरा करना होगा.
तेल-महंगाई को काबू में रखना
पेट्रोल-डीजल के दाम देश के लोगों और उत्पादों की कीमत को काफी प्रभावित करते हैं. इंटरनेशनल मोर्चे पर अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर से बढ़ते तनाव के कारण कच्चे तेल की कीमत बढ़ने लगी है. क्रूड ऑयल का रेट करीब 69 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है. चुनाव की वजह से सरकार पिछले काफी दिनों से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़त को रोके हुए थी, लेकिन अब इसमें तेजी देखी जा सकती है. ऐसे में सरकार के आगे तेल और महंगाई को काबू में रखने का चैलेंज होगा.
बढ़ता राजकोषीय घाटा
वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा 7.04 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 3.4 फीसदी है. राजकोषीय घाटे को काबू में रखने की चुनौती मोदी सरकार के सामने होगी.
देश पर बढ़ता कर्ज
देश पर लगातार बढ़ते कर्ज को काबू में लाना भी मोदी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. सितंबर, 2018 तक के लिए ही जारी रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार के कार्यकाल में देश पर कर्ज 49 प्रतिशत बढ़कर 82 लाख करोड़ पहुंच गया है.
सार्वजनिक बैकों की खस्ता हालत
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक पिछले दो साल से काफी खराब हालत में हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए दिसंबर 2018 के अंत में 800 करोड़ रुपए से अधिक रहा. बैंकों की आर्थिक हालत को सुधारना नई मोदी सरकार की बड़ी चुनौती रहेगी